वाराणसी, भदैनी मिरर। शिव का अर्थ है कल्याण. जब कोई व्यक्ति समाज के कल्याण के लिए कार्य करता है तो वह वास्तव में भगवान शिव की ही सेवा करता है. शिव को औघड़दानी कहा गया है. उनसे सरल देवता कोई हो ही नहीं सकता. शिव उपासना के न तो जटिल नियम है और न कोई साधना. शिव सहज ही प्राप्त होने वाले एकमात्र देव है. बस मन की शुद्धता और भाव की परिपूर्णता शिव उपासना के मात्र माध्यम है. उक्त बातें शिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर बाल व्यास पंडित आयुष कृष्ण नयन जी महराज ने व्यासपीठ से कही.


व्यास जी ने कहा कि शिव महापुराण में भगवान शिव के रहस्यों का वर्णन है. शिव महापुराण में कलयुग का भी वर्णन मिलता है. उन्होंने कहा कि कलयुग के प्रभाव से बचने के लिए भगवान शिव की आराधना सरल साधन है. उन्होंने शिव महापुराण के श्रोताओं को मिलने वाले फल की व्याख्या की. भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी पूजा के बारे में विस्तृत जानकारी दी.



पंडित आयुष कृष्ण नयन जी ने बताया कि शिव महापुराण शैव मत संप्रदाय का पवित्र ग्रंथ है. इस महापुराण में शिव की लीलाओं के साथ भगवान के भक्तों की कथा भी मिलती है. उन्होंने कहा कि भगवान भक्तों के भाव से प्रसन्न होते है. व्यास पीठ से उपदेश देते हुए पंडित जी ने कहा कि दीन-दुखियों की सेवा भी भगवान शिव की ही सेवा है. इसीलिए संपूर्ण जगत में भगवान शिव को देखें और जीव मात्र की सेवा में अपना योगदान दें. सर्वे भवन्तु सुखिनः यही वास्तविक शिव पूजा है.




