वाराणसी, भदैनी मिरर। साइबर फ्रॉड से बचने का जागरूकता ही एक मात्र उपाय है. साइबर अपराधियों ने इस बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के चिकित्सक को ही अपना निशाना बना लिया है. साइबर फ्रॉड ने चिकित्सक को हड़काया कि उनके नाम से सिम का इस्तमाल हो रहा है और अपराधिक गतिविधियां की जा रही है. डरे सहमें चिकित्सक ने तत्काल अपने अकाउंट से सारे पैसे ट्रांसफर कर दिए और दो दिन बाद जब उन्हें पता चला तो उन्होंने साइबर सेल में दर्ज कराई.
पेडियाट्रिक सर्जन डॉक्टर डी. राघवेंद्र को 25 मई 2024 को एक फोन आया. फोनकर्ता ने उन्हें बोला की वह टेलीकाम डिपार्टमेंट से बोल रहा है. पहले बताया कि उनके आधार संख्या को मोबाइल नम्बर के साथ बंद किया जायेगा, क्योंकि उनके विरुद्ध साइबर क्राइम मुम्बई में शिकायत है.
फोनकर्ता ने बताया कि डॉक्टर के आधार संख्या से एक सिम खरीदा गया है. जिससे अपराधिक कार्य हो रहे है. फोनकर्ता ने हड़काया कि चिकित्सक के ऊपर ऑनलाइन केस दर्ज हो रहा है. इतना ही नहीं फोनकर्ता ने कहा कि उनकी वीडियो जांच चलेगी क्योंकि उनकी आईडी से आतंकी गतिविधियां पाई गई है. फोनकर्ता यहीं नहीं रुका बोला कि चिकित्सक के अकाउंट में जो पैसा है वह आतंकी गतिविधियां द्वारा दिया गया है. इसलिए सारा पैसा आरबीआई के ट्रेजरी अकाउंट में भेज दिया. जिसके बाद चिकित्सक ने ₹ 2 लाख 19 हजार 560 ट्रांसफर कर दिया. उसके बाद फोनकर्ता ने जमानत के नाम पर झांसा देकर ₹ 48 हजार रुपए दूसरे खाते में मंगवा लिया. चिकित्सक को दो दिन बाद इस बात का एहसास हुआ कि उनके साथ फ्रॉड हुआ है. उन्होंने पांडेयपुर साइबर सेल में शिकायत दर्ज करवाई. उसके बाद लंका पुलिस ने आईपीसी की धारा 417 और 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई है.