Makar Sankranti 2025 : देशभर में आज मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जा रहा है, और इसी के साथ प्रयागराज में महाकुंभ मेले का दूसरा दिन भी उत्साह और भक्ति से परिपूर्ण है। त्रिवेणी संगम पर सुबह से ही भक्तजन अमृत स्नान करने पहुंच रहे हैं। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के बीच श्रद्धालु अपनी आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
पहले दिन की अद्भुत भीड़
महाकुंभ के पहले दिन, सोमवार को हुए शाही स्नान में 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अनुमान है कि आगामी अमृत स्नान में यह संख्या रिकॉर्ड तोड़ सकती है। आज के इस विशेष स्नान के महत्व और नियमों को समझना भी आवश्यक है।
अमृत स्नान: आध्यात्मिक महत्व और विशेषता
महाकुंभ के अमृत स्नान को बेहद पवित्र माना गया है। मान्यता है कि इस स्नान से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। इस मौके पर नागा साधुओं और संतों का भव्य जुलूस भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। ये संत स्नान से पहले और बाद में हाथी, घोड़े और रथों पर सवार होकर परंपरागत शोभायात्रा निकालते हैं।
अखाड़ों का स्नान क्रम
अमृत स्नान के दौरान सभी अखाड़ों का स्नान क्रम पूर्व निर्धारित होता है। हालांकि, यह क्रम विभिन्न अवसरों पर बदल सकता है। आज का स्नान क्रम निम्नलिखित है:
- श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी
- श्री शंभू पंचायती अखाड़ा
- श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा
- श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़ा
- अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा
संतों के स्नान के बाद गृहस्थ श्रद्धालु अमृत स्नान करते हैं।
महाकुंभ 2025: तीन अमृत स्नान की तिथियां
महाकुंभ 2025 में तीन प्रमुख अमृत स्नान होंगे:
- पहला स्नान: मकर संक्रांति (आज)
- दूसरा स्नान: मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025)
- तीसरा स्नान: वसंत पंचमी (3 फरवरी 2025)
ऐसा माना जाता है कि इन स्नानों के दौरान संगम में डुबकी लगाने से सभी कष्टों का अंत होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति 2025: शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति का पुण्यकाल आज सुबह 8:54 से दोपहर 12:52 तक है। इस अवधि में स्नान, पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
सूर्य देव की उपासना का महत्व
इस पावन अवसर पर सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी स्तुति करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही, इससे मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
महाकुंभ और मकर संक्रांति की इस अद्वितीय संधि पर श्रद्धालु अपनी आस्था और भक्ति से संगम को जीवनदायिनी ऊर्जा से भर देते हैं।