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Sindoor Khela Rituals : विजय दशमी पर क्यों निभाई जाती है सिंदूर खेला की परंपरा, जानें क्या है इसका महत्व

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Sindoor Khela Rituals : विजय दशमी पर क्यों निभाई जाती है सिंदूर खेला की परंपरा, जानें क्या है इसका महत्व
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Sindoor Khela Rituals : विजयदशमी यानी दशहरा के दिन मां दुर्गा को विदाई की जाती है, इस दिन बंगाली समुदाय के लोगों द्वारा सिंदूर खेला (Sindoor Khela Rituals) की रस्म निभाते है. बंगाल से लेकर काशी तक सभी पूजा पंडालों में इस रस्म को पूरे विधि विधान से मनाया जाता है. मां की विदाई के सम्मान में सिंदूर की होली खेली जाती है. यह पर्व सामाजिक एकता और आनंद की भावना को दर्शाता है. ऐसे में यह परंपरा दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सभी पूजा पंडालों में मां की विदाई से पहले इस रस्म का निर्वहन बड़े ही रिति-रिवाज के साथ किया जाता है। आज विजय दशमी के पर्व ये रस्म भी निभाई जा रही है. आइए जानते है सिंदूर खेला निभाने की पंरपरा कब से शुरु हुई और इसके पीछे की कहानी..

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Sindoor Khela Rituals : 450 वर्ष पुरानी परंपरा

मान्यता है कि इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए मां को सिंदूर अर्पित कर इस रस्म को (Sindoor Khela Rituals) निभाती है। ये 451 वर्ष पुरानी परंपरा है, बंगाल से इसकी शुरुआत हुई थी. इस पंरपरा को आज भी बंगाली समाज द्वारा निभााया जा रहा है. बंगाली रीति रिवाज के अनुसार षष्ठी को मां का पट खुलने के बाद से दुर्गा पूजा शुरु होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा (Goddess Durga) अपने पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ धरती पर आती हैं. पांच दिनों तक शक्ति की पूजा उपासना करने के बाद विजयदशमी को मां को सिंदूर अर्पित कर विदा किया जाता है. इसी को सिंदूर खेला कहा जाता है.

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Sindoor Khela Rituals : विजय दशमी पर क्यों निभाई जाती है सिंदूर खेला की परंपरा, जानें क्या है इसका महत्व

जानें कैसे मनाते हैं सिंदूर खेला?

नवरात्रि के दसवें दिन महाआरती के बाद भक्त मां देवी को कोचुर, शाक, इलिश, पंता भात आदि का भोग लगाते हैं. इसके बाद मां दुर्गा के सामने एक शीशा रखा जाता है जिसमें माता के चरणों के दर्शन होते हैं. ऐसा मानते हैं कि इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। फिर सिंदूर खेला शुरू होता है, जिसमें महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर और धुनुची नृत्य कर माता की विदाई का जश्न मनाती हैं. सिन्दूर खेला के बाद ही अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही मां दुर्गा का विसर्जन भी किया जाता है.

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सिंदूर चढ़ाने से पति होता है दीर्घायु

ज्योतिषाचार्य के अनुसार सिंदूर को हमारे शास्त्रों में सौभाग्य द्रव्य कहा जाता है, इसलिए विदाई के वक्त देवी को सिंदूर चढ़ा कर सुहागिन महिलाओं को इसे अपने माथे पर लगाना चाहिए. इससे न सिर्फ उनका सौभाग्य बना रहता है बल्कि उनके पति की आयु भी दीर्घायु होती है.

Sindoor Khela Rituals : विजय दशमी पर क्यों निभाई जाती है सिंदूर खेला की परंपरा, जानें क्या है इसका महत्व

ये पांच चीजें करनी चाहिए अर्पित

ज्योतिषि के अनुसार ‘सिंदूर खेला’ की रस्म (Sindoor Khela Rituals) के दौरान देवी को पांच चीजें जरूर अर्पित करनी चाहिए. इसमें सिंदूर,आलता, श्रृंगार का सामान, पान और तेल शामिल है. ऐसी मान्यता है कि इससे देवी प्रसन्न होती हैं और सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वर देती हैं.

इन चीजों को भी करें अर्पित

इसके अलावा देवी के विदाई के वक्त उन्हें दही मिश्री या चीनी भी जरूर खिलाना चाहिए. इन सब के अलावा देवी को इन पांच सामान अपित करने के बाद उन्हें अपने रिश्तेदारों और जानने वालों को सिंदूर भी लगाना चाहिए। साथ ही अपनो से बड़ों को सिंदूर लगाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, जिससे देवी का आशीर्वाद हमेशा उन पर बना रहता है.

Sindoor Khela Rituals : विजय दशमी पर क्यों निभाई जाती है सिंदूर खेला की परंपरा, जानें क्या है इसका महत्व
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