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ज्योति याराजी ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रचा इतिहास, 12.96 सेकेंड में बचाया 100 मीटर हर्डल्स का स्वर्ण

बारिश के बीच खाली स्टेडियम में चैंपियनशिप रिकॉर्ड के साथ दूसरी बार एशियाई चैंपियन बनीं भारत की ‘हर्डल क्वीन’

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गुमी (दक्षिण कोरिया)। भारतीय एथलेटिक्स के स्वर्णिम इतिहास में एक और अध्याय जुड़ गया है। ज्योति याराजी ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में महिलाओं की 100 मीटर हर्डल्स स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक बरकरार रखा। उन्होंने 12.96 सेकेंड का समय निकालते हुए न सिर्फ गोल्ड जीता, बल्कि चैंपियनशिप रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया।

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बारिश के कारण दर्शकों से खाली गुमी स्टेडियम में हुए इस मुकाबले में ज्योति ने जापान की यूमी तनाका (13.04 सेकेंड) और चीन की यान्नी वू (13.12 सेकेंड) को पीछे छोड़ते हुए दमदार जीत दर्ज की।

बारिश, सन्नाटा और रिकॉर्ड

तेज बारिश के चलते स्टेडियम लगभग खाली था, लेकिन ज्योति याराजी के हौसले बुलंद थे। शुरुआती हर्डल्स में वह पीछे रहीं, लेकिन आखिरी हिस्से में उनकी जबरदस्त फिनिशिंग ने मुकाबले की तस्वीर बदल दी। लंबा कद और मजबूत स्ट्राइड इस बार उनकी कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ।
जैसे ही उन्होंने फिनिश लाइन पार की, ज्योति ने वर्षों बाद खुले तौर पर खुशी जाहिर की और जीत का जश्न मनाया।

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कोच का भरोसा और रणनीति की जीत

ज्योति की इस ऐतिहासिक जीत पर उनके कोच जेम्स हिलियर ने कहा- “वह एक क्लास एथलीट हैं। उन्होंने रेस प्लान को बिल्कुल परफेक्ट तरीके से लागू किया। अब वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ हर्डल धाविकाओं में शामिल हैं।”

गौरतलब है कि पेरिस ओलंपिक 2024 में अपनाई गई सात-स्ट्राइड तकनीक से चोटों का खतरा बढ़ गया था। इसके बाद ज्योति ने दोबारा आठ-स्ट्राइड तकनीक अपनाई, जिससे उनकी लय और स्थिरता बेहतर हुई।

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लगातार दूसरी बार एशियाई चैंपियन

इससे पहले ज्योति याराजी ने 2023 बैंकॉक एशियन चैंपियनशिप में 13.09 सेकेंड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। गुमी में मिली यह जीत उनके करियर का पहला सब-13 सेकेंड प्रदर्शन (2025 सीजन) है, जो वर्ल्ड चैंपियनशिप क्वालिफिकेशन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

संघर्ष से शिखर तक का सफर

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के पास एक छोटे से गांव से निकलकर एशिया की सर्वश्रेष्ठ हर्डल एथलीट बनना आसान नहीं था। आर्थिक कठिनाइयों, सीमित संसाधनों और चोटों से जूझते हुए ज्योति ने खुद को बार-बार साबित किया।
2017 में उन्होंने लॉन्ग जंप छोड़कर हर्डल्स को चुना—और यही फैसला भारतीय एथलेटिक्स के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ।

वर्ल्ड चैंपियनशिप पर नजर

अब ज्योति याराजी का अगला लक्ष्य 2026 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (टोक्यो) है, जिसके लिए 12.73 सेकेंड का क्वालिफिकेशन समय जरूरी है। मौजूदा फॉर्म को देखते हुए खेल विशेषज्ञ उन्हें वैश्विक पदक की प्रबल दावेदार मान रहे हैं।
ज्योति याराजी की यह जीत न सिर्फ एक पदक है, बल्कि संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास की मिसाल भी है—जो देश की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा बन रही है।

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