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जहां स्नेह न मिले, वहां जाना भी त्याज्य' – शिव पुराण कथा में सती चरित्र से सीख

वाराणसी के महमूरगंज स्थित श्रृंगेरी मठ में चल रही शिव पुराण कथा के द्वितीय दिवस पर कथा व्यास ने नवधा भक्ति, सती चरित्र और स्वाभिमान का किया प्रेरणादायक वर्णन।

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वाराणसी, भदैनी मिरर।
महमूरगंज स्थित श्री श्रृंगेरी मठ में चल रही श्री शिव पुराण कथा के द्वितीय दिवस पर कोलकाता से पधारे कथा व्यास कृष्णानुरागी पं. शिवम विष्णु पाठक ने अपने प्रवचनों में आध्यात्मिक गहराई से जुड़े कई विषयों को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
उन्होंने विशेष रूप से कहा "अभिमान करना मानव को पतन की ओर ले जाता है, जबकि स्वाभिमान महादेव से मिलाने वाला मार्ग है।"
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पं. पाठक ने कहा कि दक्ष प्रजापति ने अभिमानवश शिव को अपमानित किया और अंततः विनाश को प्राप्त हुए, जबकि स्वाभिमानी सती ने भी अपमान सहन नहीं किया और अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने अभिमान और स्वाभिमान के भेद को स्पष्ट किया।
कथा के दौरान उन्होंने नवधा भक्ति का भी वर्णन किया और बताया कि यदि कोई भी भक्त इन नव प्रकार की भक्ति का अनुसरण करे, तो वह प्रभु शिव के साक्षात्कार तक पहुँच सकता है।
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सती चरित्र के प्रसंग में उन्होंने यह भी कहा "जहाँ स्नेह न मिले, वहाँ नहीं जाना चाहिए, चाहे वह अपने पिता का घर ही क्यों न हो।"
कथागार में उपस्थित श्रद्धालुओं ने कथा का भरपूर आनंद लिया। विशेष रूप से विशालाक्षी मंदिर के महंत जी का आगमन हुआ, जिन्होंने व्यास मंच की मंगलकामना करते हुए शिवपुराण के श्लोकों का गायन किया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
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शिव भजनों पर श्रोताओं की झूमती श्रद्धा ने आयोजन को भावविभोर बना दिया। आगामी दिन यानी सोमवार को कथा के तीसरे दिन श्री शिव-पार्वती विवाह का अत्यंत रमणीय और भावनात्मक वर्णन किया जाएगा।
कथा में देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिनमें विशेष रूप से प्रहलादका परिवार, पटना से श्री शरदचन्द्र और मुक्तेश्वर प्रसाद शामिल रहे।
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