
भक्त ने पूछा दुख का सामना कैसे करें तो स्वामी प्रेमानंद जी ने बताया कैसे दुःख को गले लगाकर मुस्कुरा सकते है
मृत्युलोक में मनुष्य जीवन संघर्षमय है, लेकिन "सब दिन होत न एक समाना"




उत्तर प्रदेश,भदैनी मिरर अध्यात्म डेस्क। वृन्दान्वन के चर्चित संत स्वामी प्रेमानंद से एक महिला भक्त ने पूछा कि दुख का सामना कैसे करें? दुख इतना बड़ा कि अपना शरीर भी नष्ट करने का प्रयास किया।
जवाब में स्वामी प्रेमानंद जी ने कहा कि बड़े से बड़े दुख की परिस्थिति में भी यदि कोई हमें बचा सकता है तो केवल और केवल भगवान और उनका नाम। भगवान का नाम तो कोई भी, कही भी और कभी भी ले सकता है। जिसकी जिव्हा के अग्र भाग पर भगवान का नाम है वह चांडाल भी परम श्रेष्ठ है। नाम में इतनी सामर्थ्य है कि दुख को गले लगाकर मुस्कुराकर जी सकते है।


स्वामी प्रेमानंद जी ने कहा कि मनुष्य जीवन संघर्षमय है। चाहे जो भी हो वह संघर्षों से घिरा हुआ है। आप राम को देख लें वह तो भगवान है न! अगले दिन राज्याभिषेक होना है और शाम को ही 14 वर्ष का वनवास हो जाता है। जो भगवान महलों में चलते है तो पैरों तले गद्दे बिछाए जाते है और वही भगवान नंगे पैर वनों में 14 वर्ष तक रहे। स्वामी जी ने श्री रामचरित मानस की चौपाई "तापस वेश, विशेष उदासी, चौदह बरस राम वनवासी" का उदहारण दिया और समझाया कि जब मृत्युलोक में भगवान जन्म लिए तो संघर्षमय जीवन रहा, चाहे राम हो या कृष्ण।


स्वामी प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि देखो भगवान कृष्ण कहा पैदा हो रहे है कंस के जेल में। देवकी और वासुदेव हथकड़ियों से जकड़े हुए है और आ कौन रहा है स्वयं पुत्र बनने परमात्मा। तो सबका जीवन संघर्षमय है। यदि आज तुम सुखी हो तो कल दुख आयेगा। "सब दिन होत न एक समाना"। आज सुखी हो तो अभिमान मत करो, आज बहुत दुखी हो तो बहुत उदास न हो। यह सुख-दुख का चक्र है, जो चलता रहता है।

स्वामी जी ने आगे कहा "पलकी पल में क्या हो जाए, पता नहीं तकदीर का, भाई अजब खेल रघुवीर का। इसलिए हमें दुख में सामर्थ्यवान बनने के लिए भगवान के नाम का जप करना चाहिए। सभी समस्याओं का समाधान भगवान का भजन और भगवान का नाम जप है। भगवान के नाम का आश्रय लेकर सभी कष्टों में भी मुस्कुराया जा सकता है।
समस्या होना मन का एक मान्यता और उसका विचार है। कष्ट होना समस्या नहीं है, उससे चिंतित होना समस्या है। स्वामी प्रेमानंद जी ने कहा कि हमारा मन यदि भगवान के चिंतन में है तो हम प्रसन्न है। यदि मन दुख को सोचने लगे तो हम डिप्रेशन में चले जाएंगे। स्वामी प्रेमानंद जी ने कहा कि भगवान के नाम का जाप करो, गलत आचरण छोड़ो तो आप आनंदित रहोगे।
उन्होंने अपना उदहारण देते हुए कहा कि शुरु में जब भी मैं किसी आश्रम जाता था तो 10-5 दिन में ही जब पता चलता कि किडनी ख़राब है तो बाहर कर दिया जाता था। बाबजूद इसके भगवान के आश्रय रहा तो आज सब व्यवस्था है, भगवान का भरोसा ना हो तो फिर दुर्गति पक्की है।

