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Varanasi : भक्त उड़ेलते हैं इतना प्यार हर साल भगवान जगन्नाथ हो जाते हैं बीमार, अब 15 दिन करेंगे विश्राम

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वाराणसी, भदैनी मिरर। जगत के पालनहार भगवान जगन्नाथ भी बीमार पड़ते है, जी हां सुनने में ये आपको भले ही अजीब लगे, लेकिन ऐसा होता है धर्म नगरी काशी में। दरअसल, जेष्ठ की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ के जलाभिषेक की परम्परा है और लोगों के प्यार में भगवान इतना स्नान कर लेते है की पूरे 15 दिन तक बीमार पड़ जाते है। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है।

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भक्तों के समतुल्य खुद को दर्शाने के उदेश्य से भगवान जगन्नाथ अपनी लीला के तहत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अर्ध रात्रि के बाद बीमार पड़ जाते है। दरअसल, पिछले तीन सौ वर्षों से अधिक वाराणसी के लोग इस परम्परा का निर्वहन करते चले आ रहे है।

पूरे दिन स्नान करने के बाद भगवान ज़ब बीमार पड़ जाते है तो उन्हें काढ़े का भोग लगाया जाता है और प्रसाद स्वरुप यही काढ़ा भक्तों को दिया जाता है। लोगों का ऐसा विश्वास है की इस काढ़े के सेवन से इंसान के शारीरिक ही नहीं मानसिक कष्ट भी दूर हो जाते है। इस प्रसाद को पाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगती है।

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जगन्नाथ मन्दिर के पुजारी के ने बताया कि वैसे तो काशी भगवान शिव की नगरी है मगर यहाँ भगवान जगन्नाथ की भक्ति में पूरा काशी कई दिनों तक डूबा रहता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिनों से बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ 15 दिनों बाद स्वस्थ होते है। पूरे पंद्रह दिनों तक भगवान को काढ़े का भोग लगाया गया तब जाकर भगवान ठीक होते है। भगवान सवस्थ होकर अपने ससुराल के लिये निकाल जाते है है। ससुराल भला किसे नहीं भाता, साथ में बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भी होते है।

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उन्होंने बताया कि भगवान की इस बीमारी का इंतजार लाखों भक्त हर साल करते है और पूरे वर्ष में भक्तों को एक दिन ही मिलता है भगवान के स्पर्श का। ज़ाहिर है भक्तों के लिए ये मौका किसी मुह मांगी मुराद से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि भगवान जगन्नाथ को पीला पेड़ा और पीला वस्त्र काफी पसंद है।

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