
रथ पर विराजे भगवान जगन्नाथ : भक्त दर्शन पाकर हो रहे निहाल, काशी में शुरू हुआ तीन दिनी रथयात्रा मेला




वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी में गुरुवार की सुबह श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का भव्य श्रृंगार कर उन्हें रथ पर विराजमान किया गया और भोर में मंगला आरती के साथ तीन दिवसीय रथ यात्रा मेले का शुभारंभ हो गया। आरती के दौरान भगवान को 56 भोग अर्पित किए गए।


दर्शन मात्र से दूर होते हैं सारे कष्ट
श्रद्धालु मानते हैं कि रथ पर विराजमान प्रभु जगन्नाथ के दर्शन मात्र से सभी दुख दूर हो जाते हैं। मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। श्रद्धालु नतमस्तक होकर प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे।
15 दिन विश्राम के बाद होती है रथ यात्रा
पुजारी राधेश्याम पांडेय के अनुसार, भगवान की लीलाओं के अनुसार 15 दिन तक उनका स्नान कराया जाता है, जिससे वे मानों बीमार हो जाते हैं। इस अवधि में भक्तों को उनके दर्शन नहीं होते। उन्हें काढ़े और परवल के जूस का भोग लगाया जाता है, जिससे वे पुनः स्वस्थ होते हैं।


26 जून को निकलेगी पालकी यात्रा
भगवान के स्वस्थ होने के बाद 26 जून को अस्सी स्थित मंदिर से उनकी भव्य पालकी यात्रा नगर भ्रमण के लिए निकलेगी। इसके बाद रात्रि विश्राम के बाद 27 जुलाई से 29 जुलाई तक तीन दिवसीय रथ यात्रा मेला आयोजित किया जाएगा।
काशी का ऐतिहासिक 'लख्खा मेला'
यह मेला काशी के प्रसिद्ध लख्खा मेलों में गिना जाता है। मान्यता है कि इस मेले में दैनिक एक लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल होते हैं। मेले में ग्रामीण संस्कृति की झलक दिखती है – लकड़ी की चरखी, खिलौनों की दुकानें, नन खटाई और बिस्कुट के स्टॉल सजते हैं।

शाम होते ही यहां भारी भीड़ उमड़ती है और रथ को नगर में घुमाया जाता है। तीनों दिन भोर में मंगला आरती की जाएगी और भक्तजन प्रभु के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।

