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शरद पूर्णिमा 2025: छह अक्तूबर को षोडश कलायुक्त चंद्रमा की किरणों से होगी अमृत वर्षा, 7 अक्टूबर को स्नान-दान

काशी में भक्त करेंगे मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा

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शरद पूर्णिमा 2025
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वाराणसी, भदैनी मिरर।
शरद पूर्णिमा इस बार 6 अक्तूबर (सोमवार) की रात मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन षोडश कलाओं से युक्त चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर अमृत वर्षा करती हैं। इन्हीं किरणों से स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्योर्तिविद के अनुसार, अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि छह अक्तूबर को दिन में 12:24 बजे से शुरू होकर सात अक्तूबर सुबह 8:18 बजे तक रहेगी।
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इस कारण व्रत और पूजन छह अक्तूबर को किया जाएगा, जबकि स्नान और दान सात अक्तूबर को होंगे।
रेवती नक्षत्र छह अक्तूबर की अर्द्धरात्रि के बाद 4:02 मिनट से सात अक्तूबर की अर्द्धरात्रि के बाद 1:58 बजे तक रहेगा।
लक्ष्मी पूजा और खीर रखने की परंपरा
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य पं. दीपक मालवीय बताते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी की आराधना और खुले आसमान के नीचे खीर रखने की परंपरा है। मान्यता है कि चंद्रमा की अमृतमयी किरणें खीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं।
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अगले दिन इस खीर को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था।
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साथ ही, धन की देवी मां लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह रात खास है — इस समय चांदनी में मौजूद अल्ट्रा-वायलेट किरणें शरीर में ठंडक और ऊर्जा प्रदान करती हैं।
7 अक्तूबर से शुरू होंगे कार्तिक स्नान और दीपदान
ज्योर्तिविदों के अनुसार, 7 अक्तूबर से कार्तिक मास के नियम, व्रत, स्नान और दीपदान शुरू हो जाएंगे।
काशी में इस दिन से गंगा घाटों पर प्रातः स्नान और दीपदान की अद्भुत छटा देखने को मिलेगी।
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