
Raksha Bandhan 2025 : कैसे हुई राखी पर्व की शुरुआत? मां लक्ष्मी से है इस त्योहार का खास कनेक्शन




रक्षाबंधन, भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र (राखी) बांधती है और उसकी लंबी उम्र, खुशहाली और सुरक्षा की प्रार्थना करती है। भाई भी जीवनभर बहन की रक्षा करने का वादा करता है और उसे उपहार देता है। यह पर्व भावनाओं, समर्पण और सुरक्षा की भावना को उजागर करता है।


रक्षाबंधन की शुरुआत: माता लक्ष्मी से जुड़ी एक पौराणिक कथा
रक्षाबंधन की परंपरा की जड़ें धार्मिक कथाओं में मिलती हैं। मान्यता है कि रक्षाबंधन की शुरुआत स्वयं माता लक्ष्मी ने की थी। उन्होंने वेश बदलकर राजा बलि को राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बना लिया। बदले में माता लक्ष्मी ने अपने पति भगवान विष्णु को उनसे वापस ले लिया।


राजा बलि ने भगवान विष्णु से वादा लिया था कि वे हमेशा उनके साथ पाताल लोक में रहेंगे, लेकिन जब माता लक्ष्मी ने उन्हें राखी बांधी और भाई बनाया, तब राजा बलि ने भाई का धर्म निभाते हुए विष्णु जी को उनके साथ जाने की अनुमति दे दी। तभी से रक्षाबंधन एक भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व बन गया।

2025 में रक्षाबंधन कब है और क्यों है यह साल खास?
इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस बार सबसे खास बात यह है कि इस दिन भद्रा काल नहीं रहेगा, जिससे पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ माना जा रहा है।
साथ ही इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इस पर्व को और अधिक विशेष बना देते हैं। ऐसा संयोग लगभग 40 वर्षों के बाद बन रहा है।
इस बार के शुभ योग:
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सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग कार्यसिद्धि और सफलता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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सौभाग्य योग: इस योग में किया गया कोई भी कार्य शुभ और कल्याणकारी फल देता है।
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बुधादित्य योग: सूर्य और बुध के एक साथ कर्क राशि में स्थित होने से यह शुभ योग बन रहा है।
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मंगलकारी ग्रह स्थिति: बृहस्पति और शुक्र के मिथुन राशि में एक साथ होने से भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।
इन सभी योगों के कारण 2025 का रक्षाबंधन न सिर्फ धार्मिक रूप से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद खास बन गया है।

