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चैत्र नवरात्र के सातवें दिन भवानी गौरी और मां कालरात्रि के दर्शन का है विधान, इनकी पूजा से दूर होता है अकाल मृत्यु का भय

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Varanasi : चैत्र नवरात्र के सातवें दिन का विशेष महत्व है। इस दिन देवी कालरात्रि की उपासना का विशेष विधान है। वहीं, भवानी गौरी के पूजन का भी महत्व माना गया है। वाराणसी के विश्वनाथ गली स्थित श्रीराम मंदिर में देवी गौरी के दर्शन के लिए भक्त सुबह से ही उमड़ने लगे। उधर कालिका गली स्थित मां कालरात्रि मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

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भोर से ही मंदिरों में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

श्रीराम मंदिर और कालिका गली दोनों ही स्थानों पर सुबह से ही भक्ति का माहौल नजर आया। जय माता दी, जय मां कालरात्रि और जय भवानी के जयकारों से क्षेत्र गूंज उठा। सुबह की मंगला आरती से पहले मां कालरात्रि का पारंपरिक श्रृंगार किया गया। जैसे ही देवी के पट खुले, दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। हाथों में नारियल, फूल, चुनरी और फल लिए श्रद्धालु माता की एक झलक पाने को उत्सुक नजर आए।

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मां कालरात्रि के दर्शन से मिलती हैं सुरक्षा और समृद्धि

धार्मिक मान्यता है कि मां कालरात्रि के पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। देवी के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और आरोग्यता बनी रहती है। मां कालरात्रि को पान अत्यंत प्रिय है, इसलिए भक्त पान अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह भी मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से विवाहित स्त्रियों का सुहाग सुरक्षित रहता है और कुंवारी कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है। मां को संकट हरने वाली देवी भी कहा जाता है, इसलिए उन्हें संकटहरणी के रूप में भी पूजा जाता है।

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पूरे दिन चलता रहेगा पूजन और दर्शन का क्रम

सुबह से शुरू हुई आराधना देर रात तक चलेगी। भक्त माता की कृपा पाने के लिए पूरे दिन मंदिरों में दर्शन-पूजन करते रहेंगे। इस खास दिन पर श्रद्धालु पूरे आस्था भाव से देवी के समक्ष नतमस्तक होकर मनोकामनाएं मांगते हैं।

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