काशी में नागा साधुओं की पेशवाई: गाजे-बाजे के साथ निकली भव्य शोभायात्रा, हजारों साधु हुए शामिल




वाराणसी: महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद अब नागा साधु काशी में डेरा डाल रहे हैं। पूर्णिमा से नागा साधुओं की पेशवाई की शुरुआत हो गई है। बुधवार को जूना अखाड़े की पहली पेशवाई अपने आराध्य देव के साथ भव्य शोभायात्रा के रूप में निकली। करीब दो हजार नागा साधुओं का यह जुलूस बैजनत्था जपेश्वर महादेव मठ से हनुमान घाट मठ तक गाजे-बाजे के साथ निकला।


महाकुंभ से काशी तक संतों का प्रवास
महाकुंभ समाप्ति के बाद अखाड़ों के संतों और नागा साधुओं का अगला पड़ाव वाराणसी होता है। पूर्णिमा स्नान के बाद अन्य अखाड़ों का भी प्रवास समाप्त हो जाएगा। परंपरा के अनुसार, संत और नागा साधु काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन और पूजन करने पहुंचते हैं। इससे पहले, उनका पेशवाई जुलूस निकाला जाता है।

हनुमान घाट स्थित जूना अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि पेशवाई से पहले जपेश्वर महादेव मठ में आराध्य देव की पूजा की गई, जिसके बाद खिचड़ी का भोग लगाया गया। साधु-संतों ने प्रसाद ग्रहण किया और फिर भाला निशान और भगवान दत्तात्रेय की अगुवाई में पेशवाई जुलूस निकला।


भव्य पेशवाई का मार्ग और परंपरा
जूना अखाड़े की पेशवाई कमच्छा और भेलूपुर होते हुए हनुमान घाट स्थित अखाड़े पर पहुंची। वहां नागा साधुओं का भव्य स्वागत किया गया। जुलूस में बैंड-बाजे, नगाड़े और नागफनी जैसे वाद्ययंत्रों की धुन पर नागा साधु करतब दिखाते और धूनी रमाते हुए चल रहे थे।
घाटों पर डेरा जमाए नागा साधु
काशी पहुंचे अखाड़ों के साधु-संत विभिन्न घाटों पर डेरा जमा चुके हैं। हनुमान घाट, शिवाला, चौकी घाट और दशाश्वमेध घाट पर कई साधु टेंट लगाकर या खुले में साधना कर रहे हैं।
18 फरवरी को निकलेगी आह्वान अखाड़े की पेशवाई
श्रीपंचदशनाम आह्वान अखाड़े की पेशवाई 18 फरवरी को निकाली जाएगी। अखाड़े के संन्यासी आरएन पाठक ने बताया कि यह पेशवाई कबीरचौरा मठ से मैदागिन, चौक, गोदौलिया होते हुए दशाश्वमेध घाट स्थित अखाड़े तक जाएगी।

नागा साधुओं की यह परंपरागत पेशवाई वाराणसी में आध्यात्मिक माहौल को और पवित्र बना रही है, जहां साधु-संत बाबा विश्वनाथ की नगरी में तप और साधना में लीन हो रहे हैं।

