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Hanuman Janmotsav 2025 : भारत का अनोखा हनुमान मंदिर, यहां नारी रूप में पूजे जाते है बजरंगबली 

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Hnauman Ji
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Hanuman Janmotsav 2025 : वैसे तो हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी और श्रीराम के परम भक्त के रूप में जाना जाता है, जिनकी मूर्ति को महिलाएं आमतौर पर स्पर्श नहीं करतीं। लेकिन हनुमान जन्मोत्सव 2025 के पावन अवसर पर हम आपको एक ऐसे हनुमान मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां बजरंगबली को नारी स्वरूप में पूजा जाता है। आइए जानते है कहां स्थित है ये मंदिर।

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कहां स्थित है यह अनोखा मंदिर?

यह अद्वितीय मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से लगभग 25 किमी दूर स्थित है। यह क्षेत्र महामाया नगरी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यहां मां महामाया देवी और हनुमान जी के मंदिर एक ही स्थान पर हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां हनुमान जी की स्त्री रूपी प्रतिमा की पूजा की जाती है, जो दुनिया भर में अपनी तरह की अकेली प्रतिमा मानी जाती है।

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स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और उन्हें पूर्ण होते देखते हैं।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर की स्थापना राजा पृथ्वी देवजू ने की थी। मान्यता है कि राजा को कुष्ठ रोग हो गया था और तमाम इलाजों के बावजूद कोई लाभ नहीं हो रहा था। एक ज्योतिषी की सलाह पर उन्होंने हनुमान जी की कठोर उपासना शुरू की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने स्वप्न में प्रकट होकर राजा को एक मंदिर और उसके समीप सरोवर खुदवाने का आदेश दिया।

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राजा ने हनुमान जी की आज्ञा का पालन किया और मंदिर के साथ एक सरोवर भी बनवाया। उस सरोवर में स्नान करने से उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। कुछ समय बाद हनुमान जी ने फिर से स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि उस सरोवर में एक दिव्य मूर्ति छिपी हुई है, जिसे मंदिर में स्थापित करना है। जब राजा के सेवकों ने उस मूर्ति को खोजा, तो उन्हें नारी रूप में हनुमान जी की अद्भुत प्रतिमा प्राप्त हुई, जिसे विधिवत मंदिर में स्थापित किया गया।

 

Navneeta

स्त्री रूपी मूर्ति की विशेषताएं

  • इस विशेष प्रतिमा में कई रहस्यमयी और अलौकिक गुण हैं।
  • मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा की ओर है।
  • प्रतिमा पाताल लोक को इंगित करती है।
  • मूर्ति में दिखाया गया है कि हनुमान जी ने रावण के पुत्र अहिरावण का वध किया।
  • हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे अहिरावण, और दाहिने पैर के नीचे कसाई को दिखाया गया है।
  • कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण विराजमान हैं।
  • एक हाथ में माला, और दूसरे हाथ में लड्डुओं से भरी थाली है।

इस मंदिर की दिव्यता और उसकी अनोखी परंपरा इसे न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में एक खास पहचान देती है। हनुमान जन्मोत्सव के पावन मौके पर इस मंदिर के दर्शन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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