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काशी में इतिहास: गुरु पूर्णिमा पर पहली बार 151 मुस्लिम श्रद्धालु लेंगे रामपंथ में गुरु दीक्षा

पातालपुरी मठ में जगद्गुरु बालकाचार्य कराएंगे गुरु दीक्षा, रामपंथ के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ऐतिहासिक पहल

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वाराणसी,भदैनी मिरर। आदियोगी शिव की नगरी काशी में इस गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई 2025) को गुरु-शिष्य परंपरा का ऐसा अध्याय लिखा जाएगा, जो जाति और धर्म की सीमाओं से परे होगा। पातालपुरी मठ में पहली बार 151 मुस्लिम श्रद्धालु—महिलाएं और पुरुष—रामपंथ में दीक्षित होंगे। यह ऐतिहासिक गुरु दीक्षा जगद्गुरु रामानंदाचार्य की परंपरा में पीठाधीश्वर जगद्गुरु बालकाचार्य द्वारा संपन्न कराई जाएगी।

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इस आयोजन के माध्यम से न केवल भारत की प्राचीन गुरु परंपरा को पुनर्जीवित किया जा रहा है, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक समरसता का भी संदेश दिया जा रहा है। पातालपुरी मठ के ट्रस्टी एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ. राजीवश्री गुरुजी ने बताया कि भगवान राम को अपना पूर्वज मानने वाले मुस्लिम समाज के लोग इस बार गुरु दीक्षा में भाग लेंगे। उनके अनुसार, “गुरु दीक्षा का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह आत्मज्ञान का मार्ग है, जो हर व्यक्ति के लिए खुला है।”

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जगद्गुरु बालकाचार्य जी महाराज ने स्पष्ट किया कि “ज्ञान और प्रकाश की तलाश में हर इंसान भटक रहा है। गुरु वही है जो शांति का मार्ग दिखाए, और गुरु पूर्णिमा वह अवसर है जब लोग अपने जीवन में मार्गदर्शन के लिए गुरु के शरण में आते हैं।” उन्होंने बताया कि हर साल हजारों लोग पातालपुरी मठ में दीक्षा लेते हैं—इसमें आदिवासी, दलित, मुस्लिम और यहां तक कि ईसाई धर्म को मानने वाले लोग भी शामिल होते हैं।

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इस बार 151 मुस्लिम श्रद्धालुओं द्वारा गुरु दीक्षा लेने की घोषणा के बाद यह आयोजन पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। बालकाचार्य जी ने कहा कि हमारी पीठ भेदभाव से रहित है, और हमने पातालपुरी मठ के द्वार हर धर्म के श्रद्धालुओं के लिए खोले हैं। उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिदृश्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि “जब यूक्रेन, इजराइल जैसे देशों में युद्ध और अशांति फैली है, तब गुरु पूर्णिमा शांति और समर्पण का संदेश लेकर आती है।”

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