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गलत कमाई का दान करने से पुण्य मिलता है या पाप? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया शास्त्रों का स्पष्ट उत्तर
 

वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज बोले— अपवित्र धन का दान भगवान स्वीकार नहीं करते, शुद्ध कर्म से ही मिलता है पुण्य
 

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भदैनी मिरर डिजिटल डेस्क | कलियुग में धन कमाने के साधन तेजी से बदल गए हैं। कई लोग धोखा, ठगी, रिश्वत और अन्य अनैतिक तरीकों से धन अर्जित कर लेते हैं और फिर यह सोचते हैं कि अगर उस धन का दान कर दिया जाए, तो पाप धुल जाएगा और पुण्य मिल जाएगा। लेकिन वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों में इस सोच को पूरी तरह गलत बताते हैं।

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प्रेमानंद जी महाराज स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि गलत कमाई का दान न तो भगवान स्वीकार करते हैं और न ही उससे पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि ऐसा दान और अधिक पाप का कारण बनता है।

गलत धन का दान क्यों नहीं देता पुण्य?

प्रेमानंद जी महाराज शास्त्रों का उदाहरण देते हुए कहते हैं- “जिस प्रकार चोरी का माल भगवान को अर्पित करने से वे प्रसन्न नहीं होते, उसी प्रकार गलत कमाई का दान भी व्यर्थ है।”

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महाराज जी बताते हैं कि शास्त्रों में दान की सबसे पहली शर्त धन की शुद्धता बताई गई है। गलत तरीके से कमाया गया धन स्वयं पाप का फल होता है। ऐसे धन का दान करने से भले ही दान लेने वाले को लाभ हो जाए, लेकिन दान करने वाले के कर्म नहीं कटते, बल्कि और बढ़ जाते हैं।

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वे उदाहरण देते हैं-अगर कोई व्यक्ति चोरी का सोना मंदिर में चढ़ा दे, तो क्या भगवान उसे स्वीकार करेंगे? उत्तर है— नहीं। इसी तरह गलत धन का दान भी भगवान का अपमान है।

दान की शुद्धता पर क्या कहते हैं शास्त्र?

प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि भगवद्गीता और मनुस्मृति में दान की तीन शुद्धताएं बताई गई हैं—

  1. दाता की शुद्धता
  2. धन की शुद्धता
  3. प्राप्तकर्ता की शुद्धता

अगर इन तीनों में से कोई एक भी अपवित्र हो, तो दान पुण्यदायी नहीं होता। विशेष रूप से अगर धन ही गलत तरीके से कमाया गया हो, तो दान का कोई आध्यात्मिक फल नहीं मिलता।
महाराज जी कहते हैं कि कलियुग में लोग सोचते हैं कि दान से हर पाप धुल जाएगा, लेकिन भगवान कर्मों का हिसाब बहुत सूक्ष्मता से रखते हैं।

अगर गलत धन कमा लिया हो तो क्या करें?

इस प्रश्न पर प्रेमानंद जी महाराज व्यावहारिक और करुणामयी सलाह देते हैं—

  • अपने कर्मों पर पश्चाताप करें
  • यदि संभव हो तो उस धन को सही जगह लौटाएं
  • जरूरतमंदों की सहायता करें, लेकिन पुण्य की अपेक्षा न रखें

महाराज जी कहते हैं कि गलत धन को लौटाना या गरीबों को देना पाप का भार कम करता है, लेकिन पुण्य केवल शुद्ध कर्म और शुद्ध धन से ही मिलता है।

महाराज जी का सबसे बड़ा उपाय: राधा नाम जप

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं- “राधा नाम में वह सामर्थ्य है कि वह बड़े से बड़ा पाप भी जला देता है।” वे सलाह देते हैं कि सच्चे मन से **राधा नाम जप**, भक्ति और प्रायश्चित करें। नाम जप से मन शुद्ध होता है और आगे गलत कमाई की इच्छा स्वयं समाप्त हो जाती है।

सच्चा दान और सच्ची भक्ति का मार्ग

महाराज जी का संदेश साफ है- सच्चा दान वही है जो मेहनत की कमाई से किया जाए।  बिना दिखावे और अहंकार के किया गया दान ही पुण्य देता है। भक्ति और ईमानदारी से जीवन पवित्र होता है।  गलत धन का दान पुण्य नहीं देता, बल्कि कर्म बंधन और मजबूत करता है।

 डिस्क्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं और संतों के उपदेशों पर आधारित हैं। भदैनी मिरर इसकी पूर्ण वैज्ञानिक या तथ्यात्मक पुष्टि का दावा नहीं करता। अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।
 

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