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अन्नपूर्णा मंदिर: भजनों से भगवती का गुणगान, झांकी ने मोहा मन

कुंभाभिषेक महानुष्ठान के तीन दिवसीय आयोजन का समापन

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वाराणसीभदैनी मिरर। अन्नपूर्णा मंदिर (Annpurna Temple) में 48 दिन चले कुंभाभिषेक आयोजन के निमित तीन दिवसीय प्रतिष्ठा समारोह के अंतर्गत जगत कल्याण के कामना के साथ बुधवार की देर शाम सम्पन्न हुआ।  
श्रृंगेरी मठ से आये 21 ब्राम्हणो द्वारा सविधि यज्ञ शाला मे हवन कर पूर्णावती किया, त्तपश्चात महंत शंकपुरी की मौजूदगी में माता अनपूर्णा का विशेष अभिषेक कर श्रृंगार किया गया। जिस श्रृंगार देख भक्त निहाल हुये । काशी के विशिष्ट विद्वानो द्वारा संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहें महंत शंकर पूरी ने पहली बार अन्नपूर्णा मंदिर आगमन जगत गुरु रामकमल नाथ को माला अर्पित कर मंच पर बैठाया।
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 जगतगुरु ने आशीर्वाद के साथ कुंभाभिषेक आयोजन की सराहना की और उन्होंने कहा कि काशी मे माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी रूप मे मौजूद है। 
संगोष्ठी मे आये अन्य विद्वानो ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा धर्म से बड़ा कुछ नहीं है। कार्यक्रम सयोजक डॉ राम नरायण द्विवेदी रहे।आयोजन मे मंदिर प्रबंधक काशी मिश्रा, धीरेन्द्र सिंह, प्रदीप श्रीवास्तव, राकेश तोमर,श्रृंगेरी मठ से अन्नपूर्णा चल्ला समेत मठ के अन्य गणमान्य मौजूद रहें। 
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संध्या में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम गीतकार कन्हैया दुबे केडी के संयोजन में आयोजित किया गया। महंत शंकर पुरी महाराज (Mahant Shanker Puri Maharaj) ने माता अन्नपूर्णा का अभिषेक पूजन करते हुए नूतन वस्त्राभूषण से सुसज्जित कर भव्य आरती उतारी और इसके साथ ही शिव पार्वती के विवाह समारोह का समापन हुआ। सायंकाल डॉ संदीप केवल और डॉ सनिश ज्ञावली व प्रसिद्ध सितार वादक पं ध्रुवनाथ मिश्रा के शिष्य सर्वोत्तम मिश्र ने क्रमशः तबला फ्लूट और सितार के माध्यम से राग मधुवंती अलाप जोड़ झाला के साथ बंदिश मध्यताल नव मात्रा में तीन ताल 16 मात्रा में बजाते हुए देवी पचरा की धुन से सभी को आनंदित कर दिया। पं रविशंकर मिश्रा, डॉ ममता टंडन, सोनी सेठ ने अपने मनमोहन कथक नृत्य किया। बक्सर की लोक गायिका अर्चना तिवारी, डॉ अमलेश शुक्ला, व्यास मौर्य, लोक गायिका शैल बाला और यथार्थ दुबे Navneeta ने अपने भजनों में माता का गुणगान किया।
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