
40 साल बाद श्री बड़े हनुमान मंदिर और गुरुद्वारा के बीच विवाद खत्म, वाराणसी में धार्मिक सौहार्द की मिसाल
गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्ष से पहले वाराणसी में ऐतिहासिक पहल

Updated: Jul 21, 2025, 16:19 IST

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वाराणसी, भदैनी मिरर। जगतगंज के धूपचंडी क्षेत्र में पिछले 40 वर्षों से श्री बड़े हनुमान मंदिर और गुरु तेग बहादुर जी के गुरुद्वारे के बीच चल रहा विवाद अब समाप्त हो गया है। दोनों धार्मिक संस्थाओं के बीच आपसी सहमति से विवाद का समाधान हुआ और अब वहां फिर से पूजा और प्रार्थना का वातावरण बना है। इस ऐतिहासिक पहल से वाराणसी में भाईचारे, सौहार्द और शांति की नई मिसाल कायम हुई है।


ऐतिहासिक सुलहनामा पर लगी मुहर
श्री बड़े हनुमान मंदिर प्रबंध समिति के व्यवस्थापक श्याम नारायण पाण्डेय और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार करन सिंह सभरवाल व उपाध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह अहलुवालिया की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस बीच, स्वतंत्रता सेनानी शहीद बाबू जगत सिंह के वंशज प्रदीप नारायण सिंह की मध्यस्थता निर्णायक रही।


यह समझौता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन और प्रशासन की सक्रिय भूमिका के चलते संभव हो सका। दोनों पक्षों ने प्रशासन और मुख्यमंत्री का आभार जताया।

इतिहास के पन्नों से धूल हटी
मंदिर प्रबंधन और गुरुद्वारा कमेटी के बीच मध्यस्थता करने वाले प्रदीप सिंह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। इतिहास के जिन पन्नों पर धूल पड़ी थी उसे प्रशासनिक अफसरों की मदद से मध्यस्थता कर हटा दिया गया है। काशी ने एक बार फिर धार्मिक सौहार्द्र का उदाहरण पेश किया है। अब एक साथ हनुमान जी के मंदिर में भजन होगा तो गुरुद्वारे में कीर्तन होगा। करीब 40 साल से स्वामित्व का चल रहा विवाद खत्म हुआ है, यह हर्ष का विषय है।

350वें शहीदी पर्व से पहले ऐतिहासिक फैसला
गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्ष के पावन अवसर पर यह सुलह और भी ऐतिहासिक बन गई है। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की और कहा कि यह केवल विवाद का समाधान नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। अब मंदिर और गुरुद्वारा दोनों स्थान पर भजन और कीर्तन एक साथ होंगे।

धार्मिक सौहार्द की मिसाल बनेगा बनारस
इस मौके पर दोनों समितियों के पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, स्थानीय नागरिक और श्रद्धालु उपस्थित रहे। गुरुद्वारा कमेटी ने स्पष्ट किया कि अब गुरुद्वारे और मंदिर के बीच सामंजस्य रहेगा और यह स्थान देशभर में धार्मिक एकता का प्रतीक बनेगा।

