Home वाराणसी मदनपुरा के पौराणिक सिद्धिश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार की तैयारी, सनातनधर्मियों ने प्रशासन से ताला खोलने की मांगी अनुमति

मदनपुरा के पौराणिक सिद्धिश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार की तैयारी, सनातनधर्मियों ने प्रशासन से ताला खोलने की मांगी अनुमति

by Ankita Yadav
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वाराणसी: मदनपुरा स्थित प्राचीन सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार और पूजन कराने का निर्णय सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट ने लिया है। शनिवार को मालवीय बाग, सिद्धगिरी बाग में आयोजित एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में इस पौराणिक मंदिर की महत्ता को रेखांकित करते हुए प्रशासन से मंदिर का ताला खोलने और धार्मिक अनुष्ठान शुरू करने की अनुमति देने की अपील की गई।

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मंदिर की पौराणिकता और इतिहास

गौरतलब है कि मदनपुरा के गोल चबूतरा क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के बारे में जानकारी हाल ही में सामने आई है। काशी खंड के अनुसार, यह मंदिर प्राचीन काल में काशी के हरिकेश वन का हिस्सा था। यहां के सिद्धिश्वर महादेव लिंग को अत्यंत सिद्धिप्रद माना गया है। काशी खंड में वर्णन है कि पंचोपचार पूजन से सिद्धिश्वर महादेव स्वप्न में साधकों को सिद्धि प्रदान करते हैं। सिद्धिश्वर महादेव मंदिर के पास ही स्थित एक प्राचीन कुंआ को सिद्धतीर्थ** कहा गया है, जिसे स्थानीय लोग “गोल चबूतरा” कहते हैं। यह स्थान सनातनधर्मियों के लिए अत्यंत पूजनीय है।

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मंदिर की जानकारी सामने आने के बाद काशी के सनातनधर्मियों ने मंदिर का ताला खोलने और पूजा-पाठ शुरू कराने की मांग की। मंदिर को लेकर प्रशासन ने अभिलेखों की जांच के लिए समय मांगा था। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह मंदिर हिंदू समाज की सार्वजनिक संपत्ति है और किसी विशेष वर्ग के स्वामित्व में नहीं है।

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बैठक में ट्रस्ट और सेंटर के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रशासन से अनुरोध किया जाएगा कि मंदिर का ताला खोलने और पूजा-पाठ कराने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।

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बैठक की अध्यक्षता काशी विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी ने की। इसमें सेंटर के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी गणेश, सनातन रक्षक दल के अध्यक्ष अजय शर्मा, प्रबंधक रामकृष्ण पांडेय, केशव प्रसाद सेठ, शंकर बोस, रवि प्रकाश राय, अवनीश दूबे, मुकुंद लाल अग्रवाल समेत अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे।

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सेंटर और ट्रस्ट जल्द ही जिला प्रशासन से मुलाकात करेंगे और मंदिर के जीर्णोद्धार व पूजा-पाठ की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध करेंगे। उनका कहना है कि जब यह स्पष्ट हो गया है कि यह मंदिर हिंदू समाज की सार्वजनिक संपत्ति है, तो पूजा-पाठ में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।

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