
5,000 सरकारी स्कूलों को बंद करने के विरोध में राष्ट्रपति को संबोधित सौंपा गया ज्ञापन
कांग्रेस शासन में स्थापित गरीब छात्रों के लिए संचालित विद्यालयों को बंद करने के फैसले पर जताया गया विरोध, श्रवण गुप्ता के नेतृत्व में जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन




वाराणसी/भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश में 5,000 से अधिक सरकारी विद्यालयों को मर्जर के नाम पर बंद करने के निर्णय के खिलाफ शनिवार को पिछड़ा वर्ग प्रदेश सचिव श्रवण गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा।


ज्ञापन में कहा गया कि कांग्रेस शासनकाल में देशभर में गरीब, दलित, पिछड़े और ग्रामीण समाज के बच्चों के लिए जो प्राइमरी स्कूल खोले गए थे, उन्होंने भारत के प्रशासनिक, शैक्षणिक और सामाजिक ढांचे को मजबूती दी है। लेकिन वर्तमान में बीजेपी की सरकारें बहुजन समाज के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की मानसिक गुलामी की साजिश चला रही हैं।


ज्ञापन में क्या उठाए गए मुद्दे?
- बीजेपी शासित राज्य सरकारें छात्रों की कम संख्या का हवाला देकर स्कूलों को बंद कर रही हैं।
- शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है, जिससे गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।
- सरकार का काम स्कूल बंद करना नहीं, बल्कि उन्हें संसाधनयुक्त बनाकर छात्रों की संख्या बढ़ाना और शिक्षकों की भर्ती करना होना चाहिए।
- यह निर्णय संविधान के खिलाफ है और मनुवादी सोच को बढ़ावा देता है।
ज्ञापन में रखी गई मुख्य मांग:
- ज्ञापन में कहा गया कि सरकारी विद्यालयों को मर्जर के नाम पर बंद करने का निर्णय अविलंब वापस लिया जाए।
- यह देश संविधान से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं।
ज्ञापन सौंपने वालों में प्रदेश सचिव, पिछड़ा वर्ग (कांग्रेस) श्रवण गुप्ता, आनंद कुमार (पूर्व पार्षद), संजय पटेल, निमेश गुप्ता और राहुल गुप्ता शामिल रहे।


