मौलाना अरशद मदनी के बयान पर सियासत गरमाई: कांग्रेस ने किया समर्थन, भाजपा ने बताया ‘तुष्टिकरण’
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान पर राजनीतिक घमासान तेज। कांग्रेस नेता उदित राज ने आरोप लगाए कि दलित, ओबीसी और मुस्लिम को संस्थानों में उपेक्षित किया जा रहा है। वहीं भाजपा ने इस बयान को वोट बैंक की राजनीति और ‘तुष्टिकरण’ बताया।

नई दिल्ली। जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान पर देश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौलाना मदनी ने कहा था कि “लंदन और न्यूयॉर्क में मुसलमान मेयर बन जाते हैं, लेकिन भारत में वही व्यक्ति किसी विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बन सकता।”
उनके इस बयान पर कांग्रेस ने समर्थन जताया है जबकि भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताते हुए कड़ी आलोचना की है।



कांग्रेस नेता उदित राज बोले-“मदनी का बयान सही, दलित-ओबीसी भी उपेक्षित”
कांग्रेस नेता उदित राज ने मदनी के बयान का समर्थन किया और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा—
- “सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, दलित और ओबीसी को भी शीर्ष पदों पर नियुक्त नहीं किया जा रहा।”
- “केंद्र सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ का दावा करती है, लेकिन हकीकत में सिर्फ एक खास जाति को बढ़ावा मिलता है।”
- “देश की 48 केंद्रीय यूनिवर्सिटीज़ में एक भी मुस्लिम, दलित या ओबीसी वाइस चांसलर नहीं है।”
- “भारत के 159 शीर्ष संस्थानों में भी इन समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं है।”
- “लैटरल एंट्री IAS भर्ती में भी एक भी दलित, आदिवासी या ओबीसी उम्मीदवार शामिल नहीं था।”
उदित राज ने यह भी कहा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी को पूरे संस्थान के रूप में निशाना बनाने की आवश्यकता नहीं थी, अपराधियों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी।

भाजपा का पलटवार-“तुष्टिकरण के नाम पर आतंकवाद को कवर फायर”
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने मदनी के बयान को “खतरनाक और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा-
- “वोट बैंक की राजनीति के नाम पर तुष्टिकरण किया जा रहा है।”
- “कुछ लोग आतंकवाद को कवर फायर देने की कोशिश कर रहे हैं।”
- “भारत में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रपति हुए हैं, क्या मदनी इसे भूल गए?”
- “दिल्ली धमाके के बाद आतंकियों के पकड़े जाने पर वही लोग सामने आ गए, जो कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं।”
शहजाद पूनावाला ने कहा कि चिदंबरम, महबूबा मुफ्ती, अबू आजमी और अन्य नेता भी इसी तरह की दलीलें देकर “आतंकियों के प्रति सहानुभूति” जता रहे हैं।

बयान पर बढ़ती सियासत
मौलाना मदनी के वक्तव्य पर राजनीति लगातार गरमाती जा रही है।
एक ओर विपक्ष इसे सामाजिक न्याय और संस्थानों में असमान प्रतिनिधित्व का मुद्दा बता रहा है,
वहीं भाजपा इसे तुष्टिकरण और आतंकवाद को ढाल देने की राजनीति करार दे रही है।
आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया देखने की संभावना है।


