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मत्स्य पालकों को कृषि का दर्जा मिले 11 साल, फिर भी सुविधाएं नहीं! किसान कांग्रेस नेता संजय चौबे ने तीन मंत्रियों से मांगा इस्तीफा

उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के पूर्वी जोन प्रवक्ता संजय चौबे ने मत्स्य किसानों को योजनाओं का लाभ न मिलने पर जताई नाराजगी, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की।

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रिपोर्ट- वीरेंद्र पटेल 

वाराणसी,भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस (पूर्वी जोन) के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने शाही दरबार, कचहरी स्थित एक प्रेस वार्ता में राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालकों को कृषि का दर्जा प्रदान किया था, लेकिन 11 वर्षों के बाद भी उन्हें कृषि की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा सकीं।

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संजय चौबे ने बताया कि उस समय प्रमुख सचिव द्वारा स्पष्ट किया गया था कि मत्स्य पालन के लिए बिजली कृषि दर पर दी जाएगी, सब्सिडी पर लोन, बीमा, विपणन और स्टांप शुल्क में छूट जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी मत्स्य पालक कमर्शियल दरों पर बिजली लेने को मजबूर हैं।

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उन्होंने कहा, “जब अधिकारी कहते हैं कि उन्हें आदेश की कॉपी नहीं मिली, तो सवाल उठता है कि आखिर 11 साल में किसानों को कितना लूटा गया?” उन्होंने तीन प्रमुख मंत्रियों—बिजली मंत्री, मत्स्य मंत्री और कृषि मंत्री—से तत्काल इस्तीफे की मांग की।

SIT जांच की मांग:
 

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संजय चौबे ने कहा कि 11 साल में बजट तो पास हुआ होगा, लेकिन वह ज़मीन तक नहीं पहुंच पाया। अगर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच कराई जाए तो कई घोटाले सामने आएंगे।

प्रचार की कमी पर नाराजगी:
 

उन्होंने कहा कि शासनादेश के बाद भी विभागों ने प्रचार नहीं किया, न विज्ञापन लगाए और न ही पर्चे बांटे। मत्स्य पालकों तक न योजनाएं पहुंचीं, न सुविधाएं।

मांगें और चेतावनी:
 

चौबे ने सरकार से मांग की कि मत्स्य पालकों को कृषि दर पर बिजली, मुफ्त ट्रांसफार्मर, क्रेडिट कार्ड या आधार पर अनुदानित लोन, विपणन सुविधा और बीमा योजनाएं प्रदान की जाएं। साथ ही चेतावनी दी कि यदि मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो किसान कांग्रेस पूरे प्रदेश में जन आंदोलन शुरू करेगी। प्रेस वार्ता में प्रभात सिंह वर्मा, वीरेंद्र यादव, गौरव पांडेय और कमलेश वर्मा सहित कई लोग उपस्थित रहे।
 

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