
पंचायत से जिला पंचायत तक चुनावी खेल: धर्मांतरण का आरोपी छांगुर बाबा ने चहेतों को जिताने के लिए बहाया काला धन
धर्मांतरण मामले में आरोपी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का राजनीतिक नेटवर्क उजागर, चुनावी फंडिंग से खड़ा किया गुर्गों का साम्राज्य, ATS के रडार पर अब प्लॉटिंग गिरोह भी




यूपी,भदैनी मिरर। धर्मांतरण के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के खिलाफ जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे उसकी राजनीतिक पकड़ और चुनावी फंडिंग के राज भी उजागर होते जा रहे हैं। अब सामने आया है कि छांगुर बाबा ने पंचायत चुनावों से लेकर जिला पंचायत सदस्यों तक को जिताने के लिए जमकर धनबल का इस्तेमाल किया था।


छांगुर बाबा का असली मकसद था अपने अवैध कामों को छिपाने और विरोधियों को कमजोर करने के लिए एक वफादार नेटवर्क तैयार करना। इसके लिए उसने उतरौला, श्रीदत्तगंज, गेंडास बुजुर्ग और रेहरा ब्लॉक के तमाम इलाकों में चुनावी फंडिंग की।
राजनीतिक रसूख और दबदबा
छांगुर बाबा ने न सिर्फ प्रधानी के चुनाव में दखल दिया, बल्कि जिला पंचायत चुनावों में भी अपने चहेतों को जितवाया। ये वही लोग हैं जो उसके धंधे में सहयोगी थे — जमीन कब्जा, अवैध प्लॉटिंग, और धर्मांतरण जैसे गंभीर मामलों में। बाहर से लौटे NRI तक इस गिरोह का हिस्सा बने, जिन्होंने विदेश की नौकरी छोड़कर उतरौला और आस-पास के इलाकों में प्लॉटिंग शुरू कर दी। सूत्रों के अनुसार, ATS की जांच में जो नाम सामने आए हैं, वे सभी किसी न किसी रूप में जमीन कारोबार से जुड़े हैं।


अवैध कमाई का खेल: जमीन के नाम पर राजनीति
उतरौला तहसील के अधिकतर ब्लॉकों में जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस मौके का फायदा उठाकर छांगुर ने अपने गुर्गों को राजनीतिक ताकत दिलाई ताकि वो जमीनों पर कब्जा कर सके, सरकारी तंत्र को प्रभावित कर सके और सिस्टम को अपने हक में मोड़ सके। अब ये गुर्गे कई चुनाव जीत चुके हैं और स्थानीय सत्ता पर काबिज होकर छांगुर के साम्राज्य को मजबूत करने का काम कर रहे थे।

अब ATS इन सभी पहलुओं की गहन पूछताछ करने की तैयारी में है। जितने भी लोग छांगुर के संपर्क में रहे हैं, विशेषकर जो चुनाव जीत कर आए हैं या प्लॉटिंग कारोबार में हैं, उन सभी की भूमिका की जांच की जाएगी। एक रिटायर्ड इंस्पेक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “छांगुर पर हाथ डालना आसान नहीं था, क्योंकि ऊपर से इतना दबाव आता था कि पुलिस भी मजबूर हो जाती थी।”
प्रश्न खड़े होते हैं
- आखिर छांगुर बाबा को यह राजनीतिक संरक्षण किसने दिया?
- काले धन से चुनाव जीतने वाले इन प्रतिनिधियों के पीछे कौन लोग हैं?
- क्या जिला और तहसील स्तर पर भी उसे प्रशासनिक समर्थन मिला हुआ था?


