वाराणसी। काशी के प्रख्यात विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है। वह काशी की प्राचीन विद्वत परंपरा के एकमात्र ऐसे विद्वान हैं, जो विभिन्न शास्त्रों को समन्वित कर एकीकृत सिद्धांत प्रस्तुत करने में सक्षम हैं।द्राविड़ ने ही अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शुभ मुहूर्त निकाला है।


वेदों और शास्त्रों में अद्वितीय योगदान
करीब 20 वर्ष पहले, शास्त्री जी ने चेन्नई में कृष्ण यजुर्वेद तैत्तिरीय ब्राह्मण का ऐतिहासिक संपादन किया। रामसेतु के संरक्षण में भी उनका अमूल्य योगदान रहा। जब रामसेतु को तोड़ने की बात हुई, तो उन्होंने भविष्यपुराण के माध्यम से प्रमाणित किया कि यह सेतु श्वेतवाराह कल्प के वैवस्वत मन्वंतर में त्रेतायुग के दौरान भगवान राम के समय का है। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए शास्त्री जी ने रामेश्वरम के तिरुप्पुल्लणै स्थान का दौरा किया और सेतुबंधन जयवीर आंजनेय मंदिर की आराधना कर इसे संरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त किया।

अनुष्ठानों से वर्षा कराने की अद्भुत क्षमता

जहां-जहां सूखे की समस्या उत्पन्न हुई, वहां शास्त्री जी के अनुष्ठानों से वर्षा हुई। उनकी प्रतिष्ठा इस बात से भी स्पष्ट होती है कि न्यायालयों में मंदिर संबंधी मामलों में उनके द्वारा दिए गए विधान को आधार बनाकर फैसले लिए गए।



शतपथ ब्राह्मण और संस्कृत साहित्य में महारत
गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ शुक्ल यजुर्वेद के माध्यंदिनीय शतपथ ब्राह्मण के शुद्ध पाठ और भाषिक स्वरों के निर्धारण में वर्तमान समय के एकमात्र विद्वान माने जाते हैं। उनका यह कार्य भारतीय वैदिक परंपरा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।


भारतीय संस्कृति के संरक्षक
देशभर में भ्रमण कर उन्होंने धर्म, ज्योतिष, मंत्रशास्त्र और आयुर्वेद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय संस्कृति पर आए आक्षेपों का समाधान कर उन्होंने समाज में सौहार्द और एकता को बढ़ावा दिया। रामजन्मभूमि शिलान्यास का मुहूर्त तय करने से लेकर मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्य तक, उनका मार्गदर्शन महत्वपूर्ण रहा।

राजनीतिक योगदान
गणेश्वर शास्त्री 2024 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रत्याशी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे। उनका जीवन धर्म, शास्त्र और समाजसेवा का प्रेरणादायक उदाहरण है।