वाराणसी। जैतपुरा थाना क्षेत्र के रसूलपुरा स्थित मदरसा दायरतुल इस्लाह चिरागे उलूम में तीन शिक्षकों की नियुक्ति फर्जी तरीके से करने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शिखा यादव की अदालत ने आवेदक हसीन अहमद के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए मदरसे के पूर्व मैनेजर रिजवान अहमद के खिलाफ समुचित धारा में मुकदमा दर्ज कर विवेचना दर्ज करने का आदेश दिया है. अदालत में वादी का पक्ष अधिवक्ता अनुज यादव, व मेराज फारुकी जुग्गन ने रखा.
प्रकरण के अनुसार वादी मुकदमा हसीन अहमद जो वर्तमान में मदरसा दायरतुल इस्लाह चिरागे उलूम के सेक्रेट्री है. उन्होंने अपने प्रार्थनापत्र में कहा है कि, 2019 में मदरसे के पूर्व सेक्रेट्री रिजवान अहमद ने मदरसे में हुए 45 लाख के गबन के मामले मे कोषाध्यक्ष जहांगिर आलम ने मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उसे 6 माह तक जेल में रहना पड़ा था, जो उच्च न्यायालय से ज़मानत पर है. उसी समय उसे सेक्रेट्री के पद से हटा दिया गया था, बाद मे चिट फण्ड ने उनकी कमेटी बहाल कर दी थी जिसके विरुद्ध उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए निचले आदेश को निरस्त करते हुए मामले को 17 मई 22 को रिमांड कर दिया. जिस पर उप जिलाधिकारी सदर ने पक्षों की सुनवाई करते हुए 6 सितंबर 23 को रिजवान अहमद की कमेटी को अवैध मानते हुए चुनाव का निर्देश दिया, जिस पर वादी मुकदमा नया सेक्रेटरी चुना गया और 29 जनवरी 2024 को कार्य भार ग्रहण किया, जब उसने मदरसे के रिकार्ड तलब किया तो पता चला कि अपदस्थ होने के बाद भी उक्त रिजवान अहमद ने दो शिक्षकों की हस्ताक्षर के साथ तीन नए शिक्षकों को मदरसे में नियुक्त कर दिया है, जबकि दोनों शिक्षकों नसरुलह और महफूज रहमान ने हलफनामा देकर कहा है कि उनके हस्ताक्षर नहीं है न तो ऐसी कोई पत्रावली देखी है और ना हस्ताक्षर बनाए है। अदालत ने इसे गंभीर, अपराध मानते हुए थाना प्रभारी जैतपुरा को घटना के सम्बंध में समुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश पारित किया है।