Home वाराणसी काशी विद्यापीठ में ओपेन माइक कार्यक्रम का आयोजन : लैंगिक विषयों के बारे में किया गया जागरूक, बोले प्रो. अनुराग- हमें थर्ड जेंडर की जगह ट्रांसजेंडर शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए

काशी विद्यापीठ में ओपेन माइक कार्यक्रम का आयोजन : लैंगिक विषयों के बारे में किया गया जागरूक, बोले प्रो. अनुराग- हमें थर्ड जेंडर की जगह ट्रांसजेंडर शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए

by Bhadaini Mirror
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वाराणसी, भदैनी मिरर। महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ और बनारस क्वीर प्राइड समूह के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को लैंगिक विषयों पर रचनात्मकता से युक्त शैक्षणिक सांस्कृतिक राष्ट्रिय कार्यशाला का आयोजन किया गया। “हम और हमारा सफ़र” शीर्षक से आयोजित कार्यशाला में एलजीबीटी समुदाय से जुड़े छात्रों युवाओ ने बड़ी संख्या में सहभागिता की। स्मार्ट क्लासरूम मानविकी संकाय सभागार में क्वीर समुदाय के सदस्यों द्वारा गीत, कविता और नाट्य प्रस्तुति की गई। हिजड़ा समुदाय के पारम्परिक गीतों ने कार्यक्रम को देशी रंग दे दिया।

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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और बनारस क्वीयर प्राइड के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को ओपेन माइक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की टैग लाईन थी “हम और हमारा सफर।” ट्रांसजेंडर सेल के समन्वयक प्रो. संजय ने स्वागत करते हुए कहा कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल और कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी के मार्गदर्शन में काशी विद्यापीठ का ट्रांसजेंडर सेल लगातार सक्रिय है। विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से ट्रांसजेंडर समुदाय के विषय में विद्यार्थियों के मध्य जागरूकता एवं संवेदनशीलता लाने का प्रयास किया जा रहा है।हमारे मध्य ही रहने वाले लेकिन विशिष्ट पहचान एवं अस्मिता के साथ जीने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति समाज और नीतियों को संवेदनशील बनाना हमारा उद्देश्य है। मानविकी संकाय के अधिष्ठाता व बीज वक्ता प्रो. अनुराग कुमार ने कहा कि हमें थर्ड जेंडर की जगह ट्रांसजेंडर शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए।

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थर्ड जेंडर एक उत्पीड़क शब्द है। जो कहीं न कहीं समाज की बद्धमूल बायनरी का ही पोषक है। ट्रांसजेंडर समुदाय अपनी भाषा और अस्मितागत पहचान के नये आयाम रच रहा है।
विशिष्ट वक्ता कबीर ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय की लड़ाई उन सारे इस्टैब्लिशमेंट के विरुद्ध है जो शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति के रूप में मौजूद है। हमारा प्रस्थान बिंदु सभ्यता के बहुत पीछे स्थित है। इसलिए संघर्ष और संकल्प दोनों को बड़ा होना ही है। विशिष्ट वक्ता टैंग ने कहा कि ट्रांसजेंडर के लिए मानसिक स्वास्थ्य तक पहुंच सिर्फ नीतिगत मसला नहीं है बल्कि हमारी समाज ऐसा मानस विकसित करे जिसमें अपने से अलग पहचान वालों को स्वीकृति मिले। इस मौके पर वक्ता एक्टिविस्ट मूसा भाई, संजू, इंदु ने भी अपने विचार साझा किये। क्वीयर समुदाय से जुड़े प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम विषय के प्रति खुलकर बातें रखीं। संचालन हिन्दी विभाग के डाॅ. सुरेन्द्र प्रताप सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने किया।

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