वाराणसी, भदैनी मिरर। पति-पत्नी को आपसी रिश्ते में ईमानदारी और विश्वास बनाकर रखना चाहिए. खुशहाल जीवन के लिए जीवन का बेहतर आचरण जरूरी है. उक्त बातें शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस पर बाल व्यास पंडित आयुष कृष्ण नयन जी महराज ने व्यासपीठ से कही. उन्होंने देवी चंचुला और उसके पति बिंदुक के चरित्र का वर्णन किया.



व्यास पीठ से वक्ता ने बताया कि शुरु के दिनों में बिंदुक की गलतियों को देवी चंचुला नजरअंदाज कर सुधारने की कोशिश करने लगी. बिंदुक का आचरण नहीं सुधरा और चंचुला का मन दूसरे पुरुषों में भटकने लगा. एक समय ऐसा आया जब दोनों एक दूसरे के भरोसे को तोड़ दिए और फिर बिंदुक का बीमारियों से निधन हो गया. अंत में देवी चंचुला को पछतावा हुआ और उसने शिव महापुराण का आश्रय ले लिया. शिव महापुराण का आश्रय लेने मात्र से देवी चंचुला को मृत्यु के पश्चात शिव लोक मिला.



व्यास पीठ से पंडित आयुष कृष्ण नयन जी महराज ने बताया कि जीवन को बदलने के लिए एक संकल्प ही पर्याप्त है. जीवन में संगति का बहुत बड़ा असर पड़ता है. यदि बुरा व्यक्ति भी अच्छी संगति का आश्रय ले तो उसका जीवन भी परिवर्तित हो सकता है. इसलिए हमें सदा सज्जन लोगों की संगति में रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिव जैसे भोले कोई देव नहीं है, उनकी पूजा भी सरल और सुलभ है.



