वाराणसी। साझा विपक्ष और नागरिक समाज ने मोदी-योगी सरकार के दमनकारी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है। आज पराडकर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में नेताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं ने आगामी 30 जनवरी को बनारस में होने वाले विशाल मार्च और सभा के बारे में जानकारी दी। यह विरोध मार्च दमन, लूट, फर्जी मुकदमों और बुलडोजर राजनीति के खिलाफ होगा, जो बनारस में बढ़ती जा रही है।


साझा विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया कि बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में एक बड़ा दमन केंद्र बन गया है, जहां लोकतांत्रिक आवाजों को कुचला जा रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद से सत्ता ने प्रतिशोध की राजनीति को बढ़ावा दिया है और जनता के विभिन्न हिस्सों, विपक्षी दलों और नागरिक समाज को निशाना बनाया है।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल श्रीवास्तव, सपा के जिला महासचिव आनंद मौर्य और अन्य नागरिक समाज के नेताओं ने साझा विपक्ष की तरफ से 21 सूत्रीय सवाल और मांगों का ऐलान किया। ये सवाल भूमि लूट, फर्जी मुकदमों, और पुलिस उत्पीड़न से जुड़े हैं, जिनमें बीएचयू और एनएसयूआई के छात्रों पर लादे गए फर्जी मुकदमे, किसानों की जमीन की लूट, और बुनकरों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग प्रमुख हैं।



मार्च 30 जनवरी को 11 बजे रविन्द्रपुरी (पदमश्री चौराहा) स्थित बाबा साहेब आंबेडकर की मूर्ति से शुरू होकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक जाएगा। इसके माध्यम से 21 सूत्रीय सवालों का समाधान और बनारस में जारी संघर्षों को एकजुट किया जाएगा।


साझा विपक्ष का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन नागरिक अधिकारों और लोकतंत्र के संरक्षण के लिए किया जा रहा है, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया जाए।
