राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि बिना सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के कछुआ सेंचुरी को कैसे डिनोटिफाइड किया गया और वहां टेंट सिटी कैसे बसाई गई। एनजीटी की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता से इस संबंध में स्पष्ट जवाब मांगा।
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एनजीटी की सख्त टिप्पणी
एनजीटी की प्रधान पीठ, जिसमें चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य **न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डा. ए. सेंथिल वेल शामिल हैं, ने कहा कि कछुआ सेंचुरी को खत्म करने से वहां के जलीय जीवों और जैव विविधता पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर सरकार को जवाब देना होगा।
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गंगा की सफाई में कछुओं की भूमिका
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न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब आप खुद मानते हैं कि वाराणसी में गंगा में नाले गिर रहे हैं, तो फिर कछुआ सेंचुरी को क्यों हटाया गया? कछुए गंगा की सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ऐसे में सेंचुरी को डिनोटिफाई करने का आधार क्या है?
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन?
एनजीटी ने सरकार से पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2000 में अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि किसी भी सेंचुरी की अधिसूचना को रद्द करने की अंतिम मंजूरी सुप्रीम कोर्ट ही देगा, तो फिर बिना मंजूरी के कछुआ सेंचुरी को कैसे हटाया गया?
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इस पर उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने कछुआ सेंचुरी को डिनोटिफाई करने की मंजूरी दी थी। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम आवेदन दायर किया है।
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टेंट कंपनियों पर जुर्माना, अब तक वसूली नहीं
याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने टेंट कंपनियों पर 17.12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था लेकिन अब तक वसूली नहीं हुई।
एनजीटी ने इस पर यूपीपीसीबी और राज्य सरकार से जवाब मांगा कि पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की राशि की वसूली अब तक क्यों नहीं की गई? इस पर यूपीपीसीबी के अधिवक्ता ने बताया कि टेंट कंपनियां गुजरात की हैं, इसलिए वसूली के लिए गुजरात सरकार को भी पत्र भेजा गया है। एनजीटी ने इस मामले में अब तक की प्रगति पर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है।
टेंट सिटी का भविष्य क्या?
एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने सरकार से पूछा कि भविष्य में क्या वाराणसी में फिर से टेंट सिटी बसाई जाएगी? इस पर यूपी सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है लेकिन, एनजीटी ने स्पष्ट कर दिया कि वह वर्तमान और भविष्य दोनों को ध्यान में रखते हुए फैसला देगा।
अगली सुनवाई 26 मई को
एनजीटी ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 26 मई तय की गई है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि 26 मई को इस मामले पर अंतिम बहस होगी।