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नशीले फेन्सेडिल कफ सिरप तस्करी के दो और बड़े राजदार STF के हत्थे चढ़े

पूछताछ में बहुत बड़े सिंडिकेट का बड़ा खुलासा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत गहराई में फैली हैं जड़ें

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लखनऊ से गिरफ्तार किये गये सहारनपुर के रहनेवाले सगे भाई अभिषेक और शुभम

वाराणसी, भदैनी मिरर। फेन्सेडिल कफ सिरप व कोडीन युक्त अन्य दवाओं को नशे के रूप में प्रयोग करने, अवैध भंडारण और तस्करी से जुड़े दो सगे भाइयों को यूपी एसटीएफ ने गुरूवार को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। इनमें अभिषेक शर्मा और शुभम शर्मा सहारपुर जिले के सदर बाजार थाना क्षेत्र के कपिल विहार के रहनेवाले हैं। एसटीएफ ने इनके पास से दो मोबाईल फोन, फर्जी फर्म से संबंधित प्रपत्र बरामद किये हैं। एसटीएफ की टीम ने इन्हें आलमबाग मवैया रोड पर टेडी पुलिया तिराहे के पास से अल सुबह पकड़ा है। इन दोनों भाइयों से पूछताछ में बहुत बड़े सिंडिकेट का खुलासा हुआ है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर फैले तस्करी के इस कारोबार की जड़े काफी गहरी हैं। हालांकि इसे 200 करोड़ का कारोबार बताया है लेकिन इससे कहीं ज्यादा का कारोबार लगता है।

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बता दें कि इस तस्करी कांड का सरगना शुभम जायसवाल अभी भी फरार है। वह कोर्ट, सफेदपोशों और चहेते नौकरशाहों के जरिए गिरफ्तारी से बचने की जुगत लगा रहा है। इस मामले में उसके सहयोगी अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह, शुभम के पिता भोला जायसवाल समेत दो दर्जन लोगों को विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया जा चुका है। कफ सिरप तस्करी कांड की आंच यूपी की सत्ता तक पहुंच चुकी है। विपक्षी पार्टियां न्यायिक जांच की मांग कर रही हैं, मगर प्रदेश सरकार एसआईटी जांच से ही काम चला रही है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं। कहाकि इस कांड में जांच से जुड़े लोग और आरोपित एक ही जाति के हैं। उन्हें बचाने की कोशिशें हो रही है। उन्होंने यहां तक कहाकि इस कांड का कुछ नही होगा, बस लीपापोती होगी। छोटे-छोटे अपराधों में बुलडोजर चलवाने वाली योगी सरकार के बुलडोजर का ड्राइवर चाभी लेकर चला गया है।

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गौरतलब है कि बहुचर्चित कफ सिरप तस्करी कांड में इससे पहले भी गिरफ्तारियां की हैं। लखनऊ के सुशान्त गोल्फ सिटी थाना में धारा 420, 467, 468, 471, 34, 120बी, 201 के तहत मुकदमा दर्ज है। इस मामले के वांछितों की तलाश निरीक्षक अंजनी कुमार पाण्डेय, आदित्य कुमार सिंह, एसआई मनोज कुमार, मुख्य आरक्षी सुनील सिंह, विनोद सिंह, गौरव सिंह, प्रशान्त सिंह, प्रभाकर पाण्डेय, रणधीर सिंह, केके त्रिपाठी, शेरबहादुर की टीम द्वारा की जा रही थी। गुरूवार को सूचना मिली कि एबॉट कम्पनी का दिल्ली का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर एवं अभियोग में वांछित अभिषेक शर्मा और उसके भाई शुभम् शर्मा किसी काम से लखनऊ आये हैं। दोनों बस अड्डा पर उतरकर हजरतगंज में किसी से मिलने जाने वाले हैं। इस सूचना पर पुलिस को साथ लेकर टीम पहुंची और दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। 

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पूछताछ में अभिषेक शर्मा ने बताया कि वर्ष 2019 से विशाल सिंह एवं विभोर राणा के यहां जीआर ट्रेडिंग दवा फर्म में काम कर रहा था। शुरू में मैं जीआर ट्रेडिंग में लोडिंग अनलोडिंग का कार्य देखा करता था और उससे संबंधित रिकॉर्ड मेंटेन करता था। विभोर और विशाल जीआर ट्रेडिंग में एबॉट कंपनी की अन्य दवाओं के साथ फेन्सेडिल कफसिरप मंगाते थे और फर्जी फर्म के माध्यम से खरीद बिक्री दिखाकर नशे के रूप में प्रयोग करने के लिए तस्करों को सप्लाई करते थे। वह नशीले कफ सिरप को बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजते थे। फर्जी बोगस फर्म को बनाने में और उनकी खरीद बिक्री दिखाने में इनका सहयोग सीए अरुण सिंघल करता था। अरुण सिंघल ने उनके यहां काम करने वाले बिट्टू कुमार व सचिन कुमार के नाम पर सचिन मेडिकोज नाम से एक फर्म सहारनपुर में और सचिन मेडिकोज के ही नाम पर दूसरी फर्म भगवानपुर रुड़की में बनाई। यह लोग एबॉट कंपनी से मंगाई हुई फेन्सेडिल कफ सिरप को पहले उत्तराखण्ड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दवा फर्म को कागजों में बेचना दिखाते थे। फिर पूरा माल बिट्टू कुमार के नाम पर बनी सहारनपुर वाली फर्म सचिन मेडिकोज में खरीद लेना दिखाते थे। इसके बादफर्जी ई-वे बिल तैयार कर तस्करों को बेच देते थे।

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वर्ष 2021 में इन लोगों का माल कई जगह पकड़ा गया, जिसमें मालदा पश्चिम बंगाल के मुकदमे में 2022 में विभोर राणा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जेल से छूट कर आने के बाद इन लोगों ने जीआर ट्रेडिंग से काम करना बंद कर दिया। जीआर ट्रेडिंग से काम बंद हो जाने के बाद एबॉट कंपनी के अधिकारियों से मिलीभगत कर विशाल सिंह की फर्म बीएन फर्मास्युटिकल के लाइसेन्स पर सहारनपुर के केयरिंग एंड फारवर्डिंग एजेंट (सीएफए) बन गए। जबकि फेन्सेडिल कफ सिरप की तस्करी में छोटा भाई विभोर राणा जेल गया था। बतया कि सचिन मेडिकोज के नाम से जो फर्म भगवानपुर रुड़की में बनी थी। उसका नाम दिसम्बर 2023 में बदलकर मारुति मेडिकोज कर दिया। इस दौरान जीआर ट्रेडिंग से काम बंद हो जाने पर अरुण सिंघल उनके यहां से काम छोड़कर चला गया। अरुण सिंघल ने विशाल और विभोर के कहने पर मेरे भाई शुभम शर्मा, बालाजी संजीवनी, मुनेश पुंडीर, विष्णु प्रिया बिट्टू, चरण पादुका समेत विभिन्न नामों से कई बोगस फर्म उनके नौकरों परिचितों के नाम पर बनाई थी। उसने बताया कि इन् फर्मों से भी फेनसेडिल की फर्जी क्रय विक्रय दिखाया गया। अरुण सिंघल के कंपनी छोड़कर चले जाने के बाद विभोर राणा और विशाल सिंह के कहने पर मैं मारुति मेडिकोज का काम देखने लगा। मारुति मेडिकोज को जनवरी 2024 में एबॉट ने उत्तराखंड का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बना दिया।

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उसके सभी बिल पर मैं ही सचिन कुमार के नाम पर साइन करता था और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से लेन देन भी करता था। इसी दौरान मेरे नाम पर भी दिल्ली में एक फर्म एवी फार्मास्यूटिकल्स पप्पन यादव के पार्टनरशिप में बनवा दी, जिसका सारा काम विशाल सिंह और विभोर राणा का साथी सौरभ त्यागी और पप्पन यादव देखा करते थे। मैं सिर्फ दो ही बार एवी फार्मास्यूटिकल्स दिल्ली गया हूं। विशाल और विभोर मारुति मेडिकोज में जो भी फेन्सेडिल कफ सिरफ मंगाते थे उसको दीपक राणा जो कि इनके गांव अम्बेहटा चांद का रहने वाला है। वह अब भगवानपुर, रूडकी में रहने लगा है। इसके अलावा रुड़की के ही संदीप शर्मा एवं देहरादून का मेघराज एंड संस, पार्थ मेडिकोज का पार्थ अरोडा आदि अपनी और उनके परिचितों के नाम बनी करीब 65 फर्मों की बिक्री कागजों में दिखा दी जाती थी। जबकि माल मारुति मेडिकोज पर ही रहता था। फिर उन्हें उन सभी फार्मों से फेन्सेडिल कफ सिरफ की बिक्री लाभ पर मेरे नाम पर बनी एवी फार्मास्यूटिकल्स को बिल कर दिया जाता था। इसके बाद सौरभ त्यागी के माध्यम से विभोर राणा एवं विशाल उसको आगरा बनारस, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ आदि के माध्यम से फर्जी ई-वे बिल आदि बनाकर उसे मालदा वेस्ट बंगाल, त्रिपुरा आदि के रास्ते से चोरी से बांग्लादेश के लिये तस्करों को भेज देते थे।

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दोनों भाइयों ने बताया कि अप्रैल 2024 में मारुति मेडिकोज और एवी फार्मास्यूटिकल्स के माध्यम से भेजी गई फेन्सेडिल कफ सिरप जो कि सीतापुर के 02 स्टॉकिस्ट जिसका ड्रग लाइसेंस पूर्व में ही निरस्त हो गया था, के नाम पर फर्जी ई-वे बिल आदि बनाकर हम लोगों ने भेजा गया था। इसी दौरान लखनऊ में पकड़ लिया गया। जब मारुति मेडिकोज और एवी फार्मास्यूटिकल्स के नाम पर नोटिस आने लगी तब विभोर राणा ने सचिन कुमार की बीमारी का फर्जी मेडिकल बनवाकर मुझे मारुति मेडिकोज की तरफ से अधिकृत बयान दर्ज करने के लिए ऑथराइजेशन लेटर बनवाया। दिसंबर 2024 में एबॉट कंपनी ने फेन्सेडिल कफ सिरप बनाना बंद कर दिया और मारूति मेडिकोज और एबी फार्मास्यूटिकल्स सीएफए से माल वापस लेकर शैली ट्रेडर्स को दे दिया। फिर हम लोगों ने एवी फार्मास्युटिकल से सौरभत्यागी के माध्यम से स्कॅफ तथा ऑनेरेक्स कफ सिरप की तस्करी करने लगे। पिछले महीने 11 दिसम्बर को एसटीएफ ने विशाल सिंह, विभोर राणा, सचिन कुमार और बिट्टू को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से हम दोनों अपना नंबर बंद कर अंबाला में छुप कर रह रहे थे।

शुभम शर्मा ने बताया कि मैं इन्टर तक पढ़ा हूं। 2017 में दुबई चला गया था। दुबई पोर्ट वर्ल्ड (डीपीडब्ल्यू) में पोर्ट आपरेशनल ऑफिसर के पद पर नौकरी किया। मैं अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जाना चाहता था। इसलिए वापस इंडिया आ गया। यहां आने पर बड़े भाई अभिषेक के माध्यम से विशाल सिंह एवं विभोर राणा से मुलाकात हुई। इन लोगों ने मुझे बिजनेस करने की बात कही और मुझसे डॉक्यूमेंट आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि ले लिया। मेरे नाम पर श्री बालाजी संजीवनी नाम से एक फर्म बना दी। शुरुआती क्रय विक्रय मारुति मेडिकोज से करायी फिर एबॉट कंपनी का कोड खुलवाकर बीएन फार्मास्यूटिकल से मेरी फर्म को फेन्सेडिल कफ सिरप की खरीद बिक्री दिखाने लगे।

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यह सारा काम विशाल सिंह तथा विभोर राणा देखते थे और मुझे हर महीने लगभग रूपये 1,00,000/- देते थे। उन्होंने बताया कि मैं श्री बालाजी संजीवनी में करीब 8 माह तक काम चला था। इस दौरान मुझे करीब 8 लाख मिले। मैं विशाल व विभोर के साथ बतौर ड्राइवर आता जाता था। विभोर राणा पहले अपना माल शुभम जायसवाल को बनारस मे देते थे। बाद में शुभम जायसवाल ने अपने पिता के नाम पर रॉची में एबॉट से सुपर डिस्ट्रीब्यूसनशिप ले ली थी। दोनों अभियुक्तों ने पूछताछ में तस्करी में संलिप्त पश्चिम बंगाल के अपने 2 अन्य सहयोगियों के बारे में जानकारी दी है जिनके बारे में अभिसूचना एवं साक्ष्य संकलन की कार्यवाही की जा रही है। अभियुक्त अभिषेक शर्मा के खिलाफ इससे पहले का सुशांत गोल्फ सिटी और नंदग्राम गाजियाबाद थानों में इससे पहले भी मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। 

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