सुप्रीम कोर्ट ने पूछा स्टोरी लिखने पर पत्रकार के ऊपर धारा 420 क्यों और कैसे लगी, UP के हजरतगंज में दर्ज है एफआईआर
कोर्ट ने यूपी सरकार की जमकर लगाई क्लास




दिल्ली, भदैनी मिरर। खबर है कि देश की सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर यूपी सरकार के "पत्रकारों को मुकदमें से डरवाओ" वाली नीति को फटकार लगाई है. कोर्ट ने यूपी पुलिस विभाग के मुखिया (डीजीपी) को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर आईपीसी की धारा 420 कैसे और क्यों लगाई है. यह पूरा प्रकरण पत्रकार ममता त्रिपाठी से जुड़ा हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर स्टोरी लिखने पर कोई किसी पत्रकार के खिलाफ धारा 420 कैसे दर्ज कर दी गई. आज सुप्रीम कोर्ट में पत्रकार ममता त्रिपाठी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्दार्थ दवे खड़े थे. स्टेट को रिप्रेजेंट कर रहे विद्वान अधिवक्ताओं ने अपने तर्क से दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए. स्टोरी करने पर एफआईआर झेल रहे ममता त्रिपाठी के मामले में यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर क्लास लगाई है.

संज्ञेय अपराध बनाने के लिए जोड़ा धारा 420
पत्रकार ममता त्रिपाठी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्दार्थ दवे ने कोर्ट से कहा कि चूंकि मानहानि का मामला संज्ञेय अपराध नहीं है, इसलिए उसे संज्ञेय अपराध बनाने के लिए धारा 420 जोड़ी गई. आज बहस का पूरा मुद्दा एफआईआर में धारा 420 जोड़ने को लेकर थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से बेहद कड़े सवाल पूछे और साथ ही सरकार व डीजीपी को नोटिस जारी कर दिया. ममता त्रिपाठी पर सितम्बर 2023 में लखनऊ के हज़रतगंज थाने में एफआईआर हुई थी. पिछले तीन महीने से राज्य सरकार “जवाब दाखिल” करने के नाम पर लगातार कोर्ट से समय ले रही थी.
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