सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश, जिस अस्पताल से नवजात चोरी हो, तुरंत लाइसेंस हो रद्द




नई दिल्ली। देश में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मंगलवार को एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। जस्टिस जे.बी. पारडीवाला के नेतृत्व वाली पीठ ने वाराणसी और आस-पास के इलाकों में नवजात शिशुओं की चोरी से जुड़े मामलों में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द कर दिया। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि जहां भी नवजात चोरी की घटनाएं सामने आएं, वहां संबंधित अस्पताल का लाइसेंस तत्काल रद्द किया जाए।

संगठित गिरोह का पर्दाफाश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह केवल स्थानीय घटना नहीं, बल्कि एक संगठित और देशव्यापी गिरोह का हिस्सा है। कोर्ट ने बताया कि चोरी हुए नवजात बच्चे पश्चिम बंगाल, झारखंड और राजस्थान से बरामद किए गए हैं। जमानत रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को रिहा करना समाज के लिए खतरा पैदा करना है और हाई कोर्ट का यह फैसला लापरवाही दर्शाता है। यूपी सरकार को भी फटकार लगाई गई कि उसने जमानत आदेश को चुनौती नहीं दी।

बच्चा खरीदना भी अपराध, दोषी होंगे दंपत्ति
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई दंपत्ति यह जानते हुए भी बच्चा खरीदते हैं कि वह चोरी हुआ है, तो वे भी अपराध के भागीदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संतान की इच्छा रखना गलत नहीं है, लेकिन इसके लिए गैरकानूनी रास्ता अपनाना स्वीकार्य नहीं है।

अस्पतालों की जवाबदेही तय, माता-पिता को जागरूक रहने की सलाह
नवजात शिशु की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी भी अस्पताल से बच्चा चोरी होने की स्थिति में तत्काल लाइसेंस रद्द कर कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने अभिभावकों को भी सतर्क रहने की सलाह दी, ताकि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके।
6 माह में ट्रायल कोर्ट को निपटाने होंगे केस
सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने राज्य में चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़े लंबित मामलों की समीक्षा करें और संबंधित ट्रायल कोर्ट को छह महीने के भीतर निर्णय सुनाने का आदेश दें। कोर्ट ने भारतीय विकास संस्थान और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दिए गए सुझावों को तत्काल प्रभाव से लागू करने को भी कहा।
भावनात्मक टिप्पणी से झकझोर गया कोर्ट का फैसला
फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक मार्मिक टिप्पणी में कहा, “यदि किसी दंपत्ति का नवजात बच्चा मृत्यु को प्राप्त हो जाए, तो वे यह मानते हैं कि वह ईश्वर के पास चला गया। लेकिन यदि बच्चा चोरी हो जाए, तो वे न तो शांति से जी पाते हैं और न चैन से मर पाते हैं, क्योंकि उन्हें नहीं पता होता कि उनका बच्चा अब कहां और किस हाल में है।”
राज्य सरकारों को कड़े निर्देश
अंत में कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को चेताया कि वे नवजात शिशु चोरी और मानव तस्करी के मामलों पर संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कार्रवाई करें। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न सिर्फ दोषियों को चेतावनी है, बल्कि समाज को बच्चों की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

