Supreme Court: पोर्न पर बैन की मांग पर बोला सुप्रीम कोर्ट - “देखा नेपाल में एक बैन से क्या हो गया”
याचिकाकर्ता ने देश में पोर्न पर राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की थी, तो सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के विरोध का उदाहरण देते हुए कहा - हर बैन के परिणाम होते हैं।

नई दिल्ली। देश में पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध और नियंत्रण की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिलचस्प टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि किसी चीज पर प्रतिबंध लगाने से हमेशा सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते - “देखा नेपाल में एक बैन से क्या हो गया।”



दरअसल, नेपाल में हाल ही में सरकार ने सोशल मीडिया पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया था, जिसके विरोध में वहां के युवा सड़कों पर उतर आए थे। इसी संदर्भ का हवाला देते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर कोई भी कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए।

क्या है मामला
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह देश में पोर्न देखने पर रोक लगाने और एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने का आदेश दे।
याचिका में कहा गया कि “डिजिटाइजेशन के बाद अश्लील सामग्री तक पहुंच बेहद आसान हो गई है, जिससे किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।”

नेपाल का उदाहरण क्यों दिया सुप्रीम कोर्ट ने
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रतिबंध किसी भी देश में समाज के भीतर बड़े विरोध का कारण बन सकता है।
उन्होंने नेपाल में सोशल मीडिया बैन का उदाहरण देते हुए कहा- “नेपाल में एक बैन से क्या हो गया देखा आपने? वहां हालात बिगड़ गए। हमें इस तरह के निर्णय बहुत सावधानी से लेने होते हैं।”
अदालत ने कहा कि वह इस विषय पर जल्दबाजी में कोई आदेश नहीं देना चाहती और चार हफ्ते बाद सुनवाई की तारीख तय की।
क्या कहा याचिकाकर्ता ने
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कहा - “इंटरनेट पर करोड़ों पोर्न साइट्स हैं। सरकार भी मानती है कि इस सामग्री का प्रसार समाज में गलत प्रभाव डाल रहा है, खासकर 13 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों पर।”
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड काल में ऑनलाइन शिक्षा के दौरान बच्चे मोबाइल और लैपटॉप पर निर्भर थे, लेकिन उनमें कोई तकनीकी सुरक्षा प्रणाली (parental filter) नहीं थी जो अश्लील सामग्री को रोक सके।
याचिका में यह भी दावा किया गया कि भारत में करीब 20 करोड़ पोर्न वीडियो बिक्री या प्रसार के लिए उपलब्ध हैं, जो इस समस्या की गंभीरता दिखाते हैं।
CJI की बेंच और अगली सुनवाई
सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की बेंच के सामने हुई। सीजेआई इस महीने 23 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं, जबकि उनके बाद जस्टिस सूर्य कांत नए मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद कहा कि मामले पर विस्तृत सुनवाई चार हफ्ते बाद की जाएगी।


