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SC की सख्त टिप्पणी: फांसी ना होने तक नहीं होगी उसी दिन सुनवाई

वकील ने मकान की नीलामी रोकने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- जजों की भी नींद और काम का दबाव समझिए, फांसी या आज़ादी से जुड़े मामले को ही मिलती है प्राथमिकता।

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why sc judge surya kant on urgent hearing plea
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश और नवंबर 2025 में भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने मंगलवार को एक वकील को सख्त लहजे में फटकार लगाई। उन्होंने साफ कहा कि वह किसी भी मामले को उसी दिन तत्काल सूचीबद्ध नहीं करेंगे, जब तक कि किसी की फांसी या आज़ादी दांव पर न हो।

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दरअसल, सुबह की मेंशनिंग सेशन के दौरान वकील शोभा गुप्ता ने राजस्थान में एक आवासीय मकान की नीलामी रोकने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की।

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा-
"जब तक किसी को फांसी न होने वाली हो, मैं कभी भी किसी मामले को उसी दिन सूचीबद्ध नहीं करूंगा। आप लोग जजों की हालत नहीं समझते... क्या आपको पता है हम कितने घंटे सोते हैं?"

गुप्ता ने बताया कि नीलामी का नोटिस पिछले हफ्ते जारी हुआ था और बकाया राशि का कुछ हिस्सा पहले ही चुका दिया गया है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कुछ महीनों तक सुनवाई की उम्मीद न रखें। हालांकि, बाद में उन्होंने कोर्ट मास्टर को निर्देश दिया कि मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट में मेंशनिंग की परंपरा

सुप्रीम कोर्ट में रोज़ नियमित सुनवाई से पहले वकील तत्काल मामलों का मेंशनिंग कर सकते हैं। इसका उद्देश्य यह होता है कि अगर तुरंत दखल नहीं दिया गया तो मुवक्किल को गंभीर नुकसान हो सकता है। लेकिन हाल के दिनों में बढ़ती भीड़ और बार-बार की जा रही मांगों से नाराज़ होकर कोर्ट ने कई बार इस प्रक्रिया पर सख्ती दिखाई है।

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मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई पहले ही 6 अगस्त को आदेश दे चुके हैं कि 11 अगस्त से सीनियर एडवोकेट्स उनके कोर्ट में मेंशनिंग नहीं कर पाएंगे।

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