नेपालगंज में धार्मिक पर्यटन को मिलेगा नया impulso: भारत-नेपाल के बीच क्रॉस बॉर्डर टूरिज्म कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन
बागेश्वरी मंदिर, लुंबिनी के बुद्ध जन्मस्थली और जनकपुरी मंदिर को पर्यटन नक्शे पर ऊकेरने की तैयारी, भारत के 50 प्रमुख टूर ऑपरेटर हुए शामिल
नेपालगंज, डेस्क रिपोर्टर। हालिया "जेंज़ी मूवमेंट" और आर्थिक मंदी से उबरते नेपालगंज में अब धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की तैयारी शुरू हो गई है। शनिवार को लुंबिनी राज्य के बांके जिले में आयोजित ‘क्रॉस बॉर्डर टूरिज़्म कॉन्क्लेव 2025’ में भारत और नेपाल के बीच पर्यटन, प्रशासनिक सहयोग और धार्मिक स्थलों के विकास पर चर्चा हुई।



कॉन्क्लेव में नेपालगंज के बागेश्वरी मंदिर, लुंबिनी के बुद्ध जन्मस्थली, जनकपुरी मंदिर और कैलाश मानसरोवर जैसे धार्मिक स्थलों को नेपालगंज पर्यटन नक्शे पर प्रमुख स्थान दिलाने की रूपरेखा तैयार की गई। इसके अलावा बांके नेशनल पार्क और बर्दिया नेशनल पार्क को बढ़ावा देने की योजनाओं पर भी विचार किया गया।

राष्ट्रगान और भावनात्मक आरंभ
कार्यक्रम की शुरुआत भारत और नेपाल के राष्ट्रगान के साथ हुई। स्थानीय नागरिक, सुरक्षा अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने एक-दूसरे के राष्ट्रगान को सम्मान दिया, जो भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक बना।
नेपालगंज के मेयर प्रशांत विष्ट ने शहर के पुनर्निर्माण और पर्यटन को प्राथमिकता देने की बात कही। नेपाल टूरिज़्म बोर्ड के सीईओ दीपक राज जोशी ने दोनों देशों के पर्यटन को पटरी पर लाने में सहयोग का भरोसा दिया। बांके के डीएम विजय गुप्ता और एसपी अंकुर जी सी ने सीमा पार आवाजाही और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।

कॉन्क्लेव समन्वयक श्रीराम सिंग्डेल ने कहा कि यह पहल दोनों देशों के टूर ऑपरेटरों के बीच मजबूत सेतु बनाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत से 50 वरिष्ठ टूर ऑपरेटर कार्यक्रम में शामिल हुए, जो नेपालगंज को भारतीय पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने में मदद करेंगे।

जेंज़ी आंदोलन के प्रभाव और सुधार की दिशा
नेपालगंज हाल ही में हुए आंदोलन में आर्थिक चोट और नुकसान झेल चुका है। इस दौरान सरकारी संपत्तियों और ट्रांजेक्शन में भारी क्षति हुई थी। इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य पर्यटन के नुकसान की भरपाई करना और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है।
कार्यक्रम में इमिग्रेशन, कस्टम, ट्रांसपोर्ट और टूरिज़्म विभागों के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई। धार्मिक और सांस्कृतिक सर्किट जैसे रामायण, बुद्ध और शिव-शक्ति सर्किट को जमीन पर वास्तविक विकास दिलाने की बात की गई।
इस पहल से नेपालगंज को भारत और नेपाल दोनों देशों के पर्यटकों के लिए सुरक्षित, सुगम और आकर्षक धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा है।
