
RSS नेता होसबोले के बयान पर भड़के राहुल गांधी, कहा- 'संविधान इन्हें चुभता है, क्योंकि वो...'




आरएसएस के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले के हालिया बयान ने देश की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ जैसे शब्दों की कोई आवश्यकता नहीं है, इन्हें इमरजेंसी के दौरान जोड़ा गया था। इस टिप्पणी पर अब विपक्ष खासकर कांग्रेस ने जोरदार हमला बोला है।


राहुल गांधी का तीखा वार
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक तीखा पोस्ट करते हुए बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। आरएसएस का चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। इन्हें संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं।"


‘संविधान से छेड़छाड़ नहीं होने देंगे’
राहुल गांधी ने आगे लिखा कि, "संविधान जैसा शक्तिशाली दस्तावेज उनसे छीनना इनका असली मकसद है। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हर देशभक्त भारतीय संविधान की रक्षा के लिए आखिरी सांस तक खड़ा रहेगा। आरएसएस को यह सपना देखना छोड़ देना चाहिए।"

दत्तात्रेय होसबोले का बयान क्या था?
27 जून को दिए अपने बयान में आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संविधान की मूल प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवाद' शब्द नहीं थे। ये शब्द 1976 में इमरजेंसी के समय प्रस्तावना में जोड़े गए, जब लोकतंत्र कमजोर कर दिया गया था, मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे और न्यायपालिका निष्क्रिय हो गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि इन शब्दों को प्रस्तावना में बनाए रखना है या नहीं, इस पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस होनी चाहिए।
कांग्रेस का पलटवार – ‘संविधान को खत्म करने की साजिश’
कांग्रेस पार्टी ने इस बयान को संविधान के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश बताया। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि आरएसएस शुरू से ही संविधान का विरोध करता आया है और जब संविधान लागू हुआ था, तब उन्होंने इसकी प्रतियां जलाई थीं।
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि भाजपा नेता लोकसभा चुनाव के दौरान खुले तौर पर कह चुके हैं कि वे संविधान बदलने के लिए 400 से ज्यादा सीटें जीतना चाहते हैं। अब एक बार फिर आरएसएस-भाजपा संविधान की आत्मा पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं।

