अब सुप्रीम कोर्ट के वकील तय समय सीमा के भीतर रखेंगे मौखिक दलील, सर्कुलर जारी
बहस के लिए समय सीमा का नियम लागू
मुकदमों का जल्दी निपटारा के लिए उठाया गया कदम
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट नए वर्ष में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के वकील तय समय सीमा के भीतर अपनी मौखिक दलीलें रखेंगे। उन्हें समय सीमा का कड़ाई से पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार वकीलों की मौखिक बहस के लिए समय सीमा का नियम लागू किया है। सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत अहम फैसला लिया है। आमतौर पर वकील तारीख पर तारीख लेते हैं। बहस भी लंबी करते हैं। इससे मुकदमों का जल्दी निपटारा नहीं हो पाता। सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट में आने वाले हर मामले के लिए वकीलों की बहस की समयसीमा तय कर दी है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने सर्कुलर जारी किया है। इसका उद्देश्य त्वरित न्याय और प्रभावी कोर्ट प्रबंधन है। वकीलों को सुनवाई से पहले अपनी दलीलों की समय-सीमा और संक्षिप्त लिखित नोट जमा करने होंगे। ताकि लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके। इस कदम से 92,010 लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है।



सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि मौखिक बहस के लिए टाइमलाइन की एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी करने का उद्देश्य प्रभावी कोर्ट प्रबंधन, न्यायालय के कार्य घंटों का समान वितरण और न्याय का त्वरित एवं उचित प्रशासन सुनिश्चित करना है। किसी मामले में नोटिस जारी होने के बाद होने वाली नियमित सुनवाई में वरिष्ठ वकील, बहस करने वाले वकील या एडवोकेट ऑन रिकार्ड (एओआर), सुनवाई शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले मौखिक बहस की टाइमलाइन कोर्ट में दाखिल कर देंगे। यह समय सीमा वकीलों को मामले में पेश होने की पर्ची (एपियरेंस स्लिप) देने वाले आनलाइन पोर्टल पर देनी होगी। बहस करने वाले वकील या वरिष्ठ वकील अपने एओआर के जरिये या कोर्ट द्वारा नामित नोडल वकील के जरिए सुनवाई की तारीख से कम से कम तीन दिन पहले संक्षिप्त नोट या लिखित दलीलें दाखिल करेंगे, ताकि समय सीमा का पालन सुनिश्चित किया जा सके। लिखित दलीलें भी पांच पेज से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए और दलीलों की प्रति दूसरे पक्ष को दी जाएगी।

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने पद संभालते ही कहा था कि लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि जल्दी ही आपको बदलाव दिखेगा। उन्होंने संविधान पीठों में लंबित मामलों के जल्द निपटारे की बात भी कही थी। सुप्रीम कोर्ट में इस समय 92,010 केस लंबित हैं। इनमें से 72,658 दीवानी और 19,352 क्रिमनल केस हैं। इनमें 219 केसों की सुनवाई तीन जजों की पीठ, 27 मामलों की सुनवाई पांच जजों की पीठ, छह मामलों की सुनवाई सात जजों और चार केसों की सुनवाई नौ जजों की पीठ में होनी है। सुप्रीम कोर्ट में इस वर्ष मुकदमों के निस्तारण की दर 87 प्रतिशत रही।

