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60 साल की बुजुर्ग महिला से दुष्कर्म और सनसनीखेज हत्या में नाबालिग हत्यारा दोषी करार

दिल्ली के रोहिणी में फुटपाथ पर 15 साल से रह रहीं मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य महिला के साथ हुई थी घोर अमानवीय घटना

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कोर्ट ने नाबालिग पर बालिग अपराधी की तरह चलाया मुकदमा, आठ साल बाद दोषी करार, अगली सुनवाई पर होगा सजा का एलान

नई दिल्ली। दिल्ली के रोहिणी में फुटपाथ पर 15 साल से रह रहीं मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य 60 वर्षीय महिला की दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या के मामले में आठ साल बाद रोहिणी जिला न्यायालय ने फैसला सुनाया। नाबालिग आरोपित को बालिग मानने हुए न्यायालय ने दुष्कर्म व हत्या की धाराओं के तहत दोषी ठहराया है। अगली सुनवाई 7 नम्वबर को होगी। इस दिन बहस के बाद सजा का एलान हो सकता है। नाबालिग ने बुजुर्ग महिला से दुष्कर्म के बाद रॉड से मारकर निर्दयता पूर्वक हत्या कर दी थी। यह घटना वर्ष 2017 में हुई थी। 

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यह सनसनीखेज वारदात 25 नंबवर 2017 को रात करीब 12 बजे की है। बादली फैक्ट्री क्षेत्र में 60 वर्षीय महिला फुटपाथ पर 15 साल से रह रही थी और उसकी मानसिक स्थिति ठीक नही थी। घटना के प्रत्यक्षदर्शी गार्ड ने पुलिस को बताया कि उसने किशोर को लोहे की राड से महिला को मारते हुए देखा। इसके बाद उसने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह भाग निकला। घटना की सूचना पर पुलिस पहुंची। गार्ड और आसपास के लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपित को उसके घर से पकड़ा। बुजुर्ग महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना के चार दिन बाद 29 तारीख को महिला की मौत हो गई। महिला के शरीर पर एक दर्जन से ज्यादा चोट के निशान थे।  

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नाबालिग ने रॉड से महिला को निर्दयता से मारा था। मानसिक रूप से बीमार महिला के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान थे। महिला के अंदरुनी अंगों में भी चोट थी। वारदात के दिन किशोर की उम्र उम्र 16 वर्ष, 11 माह और 22 दिन थी। जघन्य अपराध को देखते हुए न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड की सहमति के बाद किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 19(1) के तहत नाबालिग पर वयस्क अपराधी के रूप में मुकदमा चलाया गया। आठ साल पुराने इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत ने मंगलवार को सुनवाई के बाद किशोर को दोषी करार दिया। आपको बता दें कि नाबालिग नवंबर 2017 से प्रोटेक्टिव कस्डटी में है। 89 पेज के अपने निर्णय में न्यायालय ने किशोर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) और 302 (हत्या) की धारा के तहत दोषी करार दिया है। इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी के अलावा पुलिस, फारेंसिक टीम, डाक्टर समेत 28 लोगों ने गवाही दी।

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न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि धारा 375 (ख) के अनुसार, यदि कोई वस्तु (लिंग के अलावा) किसी भी हद तक महिला की योनी, मूत्रमार्ग या गुदा में डाली जाती है तो यह दुष्कर्म माना जाएगा। तथ्यों के अनुसार, सीसीएल ने मृतका के अंदरुनी अंगों में राड डाली थी, और यह कृत्य स्वयं नाबालिग के कृत्य को दुष्कर्म की परिभाषा में लाने के लिए पर्याप्त है। भले ही गवाहों के बयानों में मृतका के अंदरुनी अंगों में किशोर के गुप्तांग डालने के संबंध में कोई स्पष्टीकरण न हो, फिर भी मृतका के अंदरुनी अंगों में राड डालने का कृत्य दुष्कर्म माना जाएगा। मुख्य लोक अभियोजक आदित्य कुमार ने दलील दी कि महिला के खून के छींटे नाबालिग के कपड़ों पर पाए गए। उसे बेहद निर्दयता से मारा गया। चूंकि किशोर अपराधी की आयु 16-18 वर्ष के बीच थी, इसलिए किशोर न्याय बोर्ड द्वारा धारा 15(1) के तहत उसका प्रारंभिक मूल्यांकन किया गया। 25 अगस्त 2018 के अपने आदेश के तहत किशोर न्याय बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि किशोर अपराधी पर एक वयस्क अपराधी के रूप में मुकदमा चलाया जाना आवश्यक है। इसके बाद मामले को न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया गया। सात सितंबर को न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड ने सहमति दी तब नाबालिग पर बालिग अपराधी की तरह केस चलाया गया।

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