मनमोहन सिंह: हजारों सवालों के बीच खामोशी की ताकत, 10 साल तक बिना लोकसभा जीते संभाली देश की कमान
‘कमजोर पीएम’ की छवि के आरोपों के बीच 1198 भाषणों से जवाब देने वाले, बेदाग व्यक्तित्व के साथ 26 दिसंबर 2024 को कहा अलविदा
नई दिल्ली। “हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।”
देश के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर रहते हुए मनमोहन सिंह की यह पंक्ति केवल एक शेर नहीं, बल्कि उनके पूरे राजनीतिक जीवन का सार थी। एक ऐसे प्रधानमंत्री, जिनकी खामोशी को कमजोरी समझा गया, लेकिन उसी खामोशी ने उन्हें भारतीय राजनीति में अलग पहचान दिलाई।



26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब में जन्मे मनमोहन सिंह का राजनीति से सीधा कोई नाता नहीं था। न उन्होंने कभी जमीनी राजनीति की और न ही लोकसभा का चुनाव जीता। इसके बावजूद हालात ऐसे बने कि वे पहले देश के वित्त मंत्री और फिर लगातार 10 वर्षों तक भारत के प्रधानमंत्री बने।

प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक सुधारों की राह पर आगे बढ़ते देखा, वहीं अपनी ही सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरते हुए भी देखा। इस पूरे दौर में उनकी सबसे बड़ी पहचान रही—उनकी खामोशी। विपक्ष लगातार उनकी चुप्पी पर सवाल उठाता रहा और उन्हें ‘कमजोर प्रधानमंत्री’ की छवि में पेश करता रहा।

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी ने एक बार संसद में कहा था कि उन्होंने मनमोहन सिंह जैसा कमजोर प्रधानमंत्री पहले कभी नहीं देखा। यहां तक कहा गया कि प्रधानमंत्री निवास 7 रेस कोर्स रोड का महत्व ही खत्म हो गया है। इन आरोपों के बावजूद मनमोहन सिंह ने कभी सार्वजनिक मंच से पलटवार की राजनीति नहीं की।
हालांकि यह धारणा भी पूरी तरह सही नहीं थी कि मनमोहन सिंह बोलते नहीं थे। उनके मीडिया सलाहकार रहे पंकज पचौरी ने एक बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि अपने 10 साल के कार्यकाल में मनमोहन सिंह ने लगभग 1198 भाषण दिए। यानी औसतन हर तीसरे दिन उन्होंने देश और दुनिया के मंचों पर अपनी बात रखी।
‘रिमोट कंट्रोल पीएम’ जैसे आरोपों के बीच भी मनमोहन सिंह अपनी बेदाग छवि के सहारे राजनीतिक तूफानों से निकलते रहे। 27 अगस्त 2012 को संसद परिसर में उन्होंने वही मशहूर शेर पढ़ा, जिसने उनकी खामोशी को आवाज दी—“हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी…”
मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति की उन दुर्लभ शख्सियतों में रहे, जिन्होंने शोर नहीं, बल्कि शालीनता को अपनी ताकत बनाया। बहुत कम बोलने वाले इस नेता की खामोशी ही उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गई।
26 दिसंबर 2024 को खामोशी का यही अफसाना लिखने वाले मनमोहन सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी सादगी, ईमानदारी और गरिमामय नेतृत्व भारतीय राजनीति में हमेशा याद किया जाता रहेगा।
प्रियंका गाँधी ने किया याद
अपने एक्स हैंडल पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गाँधी ने लिखा कि- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व वित्त मंत्री एवं रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ मनमोहन सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन।
डॉ मनमोहन सिंह जी समानता में विश्वास रखने वाले, दृढ़ निश्चयी, साहसी और गरिमापूर्ण व्यक्तित्व की मिसाल थे, जो सच्चे अर्थों में देश की प्रगति के लिए समर्पित रहे। उनकी सादगी, ईमानदारी और देश के प्रति उनका समर्पण सदैव हम सबको प्रेरणा देता रहेगा।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व वित्त मंत्री एवं रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ मनमोहन सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 26, 2025
डॉ मनमोहन सिंह जी समानता में विश्वास रखने वाले, दृढ़ निश्चयी, साहसी और गरिमापूर्ण व्यक्तित्व की मिसाल थे, जो सच्चे अर्थों में देश की प्रगति के लिए समर्पित… pic.twitter.com/I0TG9Gr2wd
