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Malegaon Blast Case साध्वी प्रज्ञा सहित 7 को बरी किए जाने के खिलाफ HC में सुनवाई, कोर्ट ने कहा- फैसले के खिलाफ हर कोई...

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मुंबई। 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस को लेकर मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने साफ किया कि इस मामले में सत्र अदालत के फैसले को सीधे तौर पर कोई चुनौती नहीं दे सकता। साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों की गवाही दर्ज की गई है, तो उसका पूरा विवरण अदालत के सामने पेश किया जाए।

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पीड़ित परिवारों ने उठाया सवाल

यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ के सामने हुई। मालेगांव ब्लास्ट केस में विशेष एनआईए कोर्ट ने सातों आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले को लेकर विस्फोट में जान गंवाने वाले छह लोगों के परिवारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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पीड़ितों के वकील ने अदालत को बताया कि अपीलकर्ता निसार अहमद, जिनके बेटे की विस्फोट में मौत हुई थी, गवाह नहीं बने थे। इस पर अदालत ने सवाल उठाया कि अगर बेटे की मौत धमाके में हुई थी, तो पिता को गवाह क्यों नहीं बनाया गया। अदालत ने कहा कि आपको यह स्पष्ट करना होगा कि वह गवाह थे या नहीं, और इसके लिए पूरा ब्योरा बुधवार को पेश करना होगा।

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धमाका जिसने सबको हिला दिया था

29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस हादसे में छह लोगों की मौत हो गई थी। जांच में इस केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत कई लोगों के नाम सामने आए थे। मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण लंबे समय तक राजनीतिक बहस और आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बना रहा।

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