
कुलगाम मुठभेड़: ऑपरेशन अखल के 9वें दिन दो जवानों का बलिदान, दो घायल- अब तक दो आतंकी ढेर
कुलगाम के अखल जंगल में नौवें दिन भी जारी है मुठभेड़, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रीतपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह हुए शहीद

Aug 9, 2025, 09:52 IST

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ड्रोन, हेलिकॉप्टर और खोजी कुत्तों से आतंकियों की तलाश
अब तक दो आतंकी मारे गए, नौ जवान घायल
नागरिकों को घरों में रहने और सतर्क रहने की अपील
कुलगाम (जम्मू-कश्मीर)। 

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के अखल इलाके में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच चल रही मुठभेड़ नौवें दिन भी जारी है। शुक्रवार देर रात तक धमाके और गोलीबारी की आवाजें गूंजती रहीं। इस दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल प्रीतपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह वीरगति को प्राप्त हुए, जबकि दो अन्य जवान घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए 92 बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिनार कोर ने इस घटना की पुष्टि की है।


ऑपरेशन अखल: अब तक का सबसे लंबा अभियान
कुलगाम के अखल जंगल क्षेत्र में छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों ने पूरी घेराबंदी कर रखी है। अधिकारियों के अनुसार, पुलिस और सेना के उच्च अधिकारी 24 घंटे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। शुक्रवार को डीजीपी नलिन प्रभात और आईजीपी कश्मीर वीके विर्दी ने ऑपरेशन क्षेत्र का दौरा किया। इसके अलावा, उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने भी दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा स्थिति और आतंकवाद विरोधी ग्रिड की समीक्षा की।


सुरक्षाबल आतंकियों को ट्रैक करने के लिए ड्रोन, हेलिकॉप्टर, खोजी कुत्ते और अन्य आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक मुठभेड़ में दो आतंकी मारे जा चुके हैं और नौ जवान घायल हुए हैं। यह इस साल का जम्मू-कश्मीर में सबसे लंबा चलने वाला ऑपरेशन माना जा रहा है।

नागरिकों को सतर्क रहने की अपील
अधिकारियों ने अखल के निवासियों को घरों में ही रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की सलाह दी है। नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। डीएसपी डीएआर (डीपीएल कुलगाम): 9419042364, 7051510656, तहसीलदार देवसर: 9797144203, एसएचओ पुलिस स्टेशन देवसर: 9682196481, 7051510664, नायब-तहसीलदार अखल: 7006743818, एसआई अर्शीद अहमद: 7006613287, एमएचसी देवसर: 9906525978
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक आखिरी आतंकी का सफाया नहीं हो जाता।

