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जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराया, आंतरिक समिति ने सीजेआई को सौंपी रिपोर्ट

इस्तीफा देना होगा नही तो महाभियोग चलाने की हो सकती है सिफारिश

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14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में लगी थी आग

घटना के समय जस्टिस वर्मा और पत्नी मध्यप्रदेश की यात्रा पर थे

फायर ब्रिगेड ने बुझायी थी आग, नोटों के जले बंडलों का बनाया था वीडियो

नई दिल्ली, भदैनी मिरर। जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक समिति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को सौंपी अपनी रिपोर्ट में न्यायाधीश को दोषी ठहराया है। सूत्रों के अनुसार उन्हें इस्तीफा देना होगा और यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी। 

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स्तीफा देना पहला विकल्प, जवाब के लिए 9 मई तक का समय

सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में उन पर आरोप लगाया गया है। प्रक्रिया के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने उनसे पूछताछ की है। उन्हें दिया गया पहला विकल्प इस्तीफा देना है। अगर वह इस्तीफा देते हैं, तो यह अच्छा है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो महाभियोग की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी। न्यायमूर्ति वर्मा को मुख्य न्यायाधीश को जवाब देने के लिए शुक्रवार, 9 मई तक का समय दिया गया है।

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इस पैनल ने शुरू की थी जांच

आपको बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थे। पैनल ने 25 मार्च को जांच शुरू की थी और 4 मई को अपनी रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश खन्ना को सौंप दी थी।

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14 मार्च को हुई थी आग लगने की घटना

गौरतलब है कि 14 मार्च की शाम को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित घर में आग लगने के बाद कथित तौर पर अग्निशमन कर्मियों ने बेहिसाब नकदी बरामद की थी। न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी उस समय मध्य प्रदेश यात्रा पर थे। आग लगने की घटना के समय घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां थीं। पूरे मामले की शुरुआत 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में लगी आग से हुई थी। दमकलकर्मियों ने आग बुझाते समय वहां बड़ी मात्रा में नकदी देखी थी। बाद में एक वीडियो सामने आया जिसमें जलते हुए नकदी के बंडल देखे गए। इस घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिन्हें उन्होंने सिरे से खारिज करते हुए इसे षड्यंत्र बताया। 

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सप्रीम कोर्ट को भेजा गया था वीडियो

दिल्ली पुलिस आयुक्त ने इस वीडियो को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ साझा किया, जिसके बाद यह सुप्रीम कोर्ट को भेजा गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अभूतपूर्व दम उठाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की प्रारंभिक रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा की प्रतिक्रिया सार्वजनिक की। नोटों की बरामदगी का मामला कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा। सोशल मीडिया पर तो प्रतिक्रियाओं का दौर अब भी जारी है। जस्टिस वर्मा पर आरोपों के बाद उन्हें उनके मूल हाई कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेज दिया गया था। जहां उन्होंने फिर से पद की शपथ ली। हालांकि उनके न्यायिक कार्य पर रोक लगा दी गई थी। इस फैसले के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने हड़ताल भी की थी।

सीजेआई ने 22 मार्च को किया था समिति का गठन

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने 22 मार्च को आरोपों की आंतरिक जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया। आंतरिक जांच के लंबित रहने को देखते हुए, न्यायिक पक्ष से सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
 

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