ITR Processing Deadline: अगर CPC ने समय पर ITR प्रोसेस नहीं किया तो टैक्सपेयर्स कैसे ले सकते हैं रिफंड? जानिए नियम
इनकम टैक्स कानून के तहत तय समय सीमा चूकने पर CPC खो देता है अधिकार, टैक्सपेयर्स को मिलता है कानूनी लाभ
नई दिल्ली| इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए एक राहत भरी जानकारी सामने आई है। अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का Centralised Processing Centre (CPC) तय समय सीमा के भीतर आपकी ITR प्रोसेस नहीं करता है, तो वह उस रिटर्न पर कार्रवाई का अधिकार खो देता है और टैक्सपेयर्स को कानूनी रूप से रिफंड पाने का हक मिल जाता है।



ITR प्रोसेस करने की अंतिम समय सीमा क्या है?
अगर किसी टैक्सपेयर ने "ड्यू डेट तक" या बिलेटेड ITR की अंतिम तारीख (31 दिसंबर 2025) तक अपनी ITR फाइल कर दी है, तो CPC को 31 दिसंबर 2026 तक उस रिटर्न को प्रोसेस करना अनिवार्य है।
हालांकि, सरकार ने ITR फाइल करने की अंतिम तारीख को 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दिया था, लेकिन इससे ITR प्रोसेसिंग की वैधानिक समय सीमा में कोई बदलाव नहीं होता।

इनकम टैक्स एक्ट क्या कहता है?
चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. सुरेश सुराणा के अनुसार- “यदि ITR 31 जुलाई 2025 को फाइल की जाती है (जो कि FY 2025–26 और AY 2025–26 से संबंधित है), तो CPC को वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद 9 महीने के भीतर सेक्शन 143(1) के तहत इंटीमेशन जारी करना अनिवार्य है।” इसका मतलब साफ है कि ITR प्रोसेस करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2026 होगी।

अगर CPC तय समय में ITR प्रोसेस न करे तो क्या होगा?
टैक्स विशेषज्ञ करणजोत सिंह खुराना, पार्टनर, लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन (एटॉर्नीज) के मुताबिक- CPC का दायित्व है कि वह ITR में गणितीय त्रुटि, दावे की वैधता, ऑडिट रिपोर्ट से मेल, टैक्स कैलकुलेशन की जांच करे।
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 143(1) के तहत सभी ITR का प्रोसेस होना अनिवार्य है।
अगर CPC 9 महीने की वैधानिक अवधि में रिटर्न प्रोसेस नहीं करता है, तो वह उस ITR पर कोई एडजस्टमेंट या डिमांड नहीं कर सकता।
टैक्सपेयर्स को क्या फायदा मिलेगा?
यदि ITR तय समय में प्रोसेस नहीं हुई—
✅ टैक्स डिमांड नहीं लगाई जा सकती
✅ रिफंड रोकने का अधिकार खत्म
✅ टैक्सपेयर कानूनी रूप से रिफंड क्लेम कर सकता है
✅ ब्याज सहित रिफंड मिलने की संभावना
