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ISRO ने लॉन्च किया ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट, अब सीधे मोबाइल पर चलेगा इंटरनेट, PM ने दी बधाई

LVM3 ‘बाहुबली’ रॉकेट से अब तक का सबसे भारी कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च
 

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श्रीहरिकोटा/आंध्र प्रदेश। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3 के जरिए अमेरिकी कंपनी का ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 (BlueBird Block-2) सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

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इस मिशन की लॉन्चिंग पहले सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर निर्धारित थी, लेकिन अंतरिक्ष सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे 90 सेकंड की देरी से 8 बजकर 55 मिनट 30 सेकंड पर लॉन्च किया गया।

 क्यों जरूरी थी लॉन्च में देरी?

ISRO के वैज्ञानिकों ने बताया कि रॉकेट के तय उड़ान पथ में पहले से मौजूद अंतरिक्ष मलबा (स्पेस डेब्रिस) या अन्य सैटेलाइट्स के आने की आशंका थी। इस संभावित टक्कर से बचने के लिए लॉन्च टाइम में बदलाव किया गया। वैज्ञानिक भाषा में इसे ‘कंजंक्शन अवॉयडेंस’ कहा जाता है।
आज के समय में अंतरिक्ष में बढ़ती भीड़ के चलते इस तरह की सावधानी एक सामान्य और जरूरी प्रक्रिया बन चुकी है।

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अब सीधे मोबाइल पर चलेगा इंटरनेट

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बिना मोबाइल टावर या फाइबर केबल के सीधे स्मार्टफोन पर हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराएगा।
यह सैटेलाइट दुनिया के सबसे बड़े कमर्शियल ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स में से एक है और दूरदराज़ व नेटवर्क-रहित इलाकों में इंटरनेट क्रांति लाने की क्षमता रखता है।

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क्यों कहा जाता है LVM3 को ‘बाहुबली’ रॉकेट?

LVM3 रॉकेट को उसकी भारी उठाने की क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहा जाता है।

  1. इसी रॉकेट ने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में भेजा
  2. यह तीन-चरणों वाला हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है
  3. इससे पहले भी कई बड़े और जटिल मिशन सफलतापूर्वक पूरे कर चुका है

इस मिशन के साथ LVM3 ने एक बार फिर भारत की वैश्विक लॉन्च क्षमता को साबित किया है।


पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर इस सफलता पर वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा- “सफल LVM3-M6 प्रक्षेपण, जिसने भारत की धरती से अब तक का सबसे भारी उपग्रह, अमेरिकी अंतरिक्ष यान ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है। यह भारत की भारी-भरकम प्रक्षेपण क्षमता को मजबूत करता है और वैश्विक वाणिज्यिक प्रक्षेपण बाजार में हमारी बढ़ती भूमिका को सुदृढ़ करता है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हमारे प्रयासों का प्रतीक है। हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को हार्दिक बधाई।”
इस लॉन्च के साथ भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान बल्कि कमर्शियल स्पेस लॉन्च मार्केट में भी एक भरोसेमंद और मजबूत खिलाड़ी बन चुका है। भारत लगातार अंतरिक्ष जगत में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

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