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POCSO एक्ट पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 52 वर्षीय महिला पर भी लग सकते हैं आरोप

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा – POCSO कानून जेंडर न्यूट्रल, महिला भी हो सकती है आरोपी

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बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट पर अहम टिप्पणी की। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कानून जेंडर न्यूट्रल है और इसके तहत केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाओं पर भी आरोप लगाए जा सकते हैं। कोर्ट ने 52 वर्षीय महिला अर्चना की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि POCSO की धारा 4 और 6 स्पष्ट करती हैं कि नाबालिग को किसी भी प्रकार की यौन गतिविधि के लिए मजबूर करना अपराध है और इसमें जेंडर का कोई अपवाद नहीं है।

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क्या है पूरा मामला?

यह मामला साल 2020 का है। आरोपी महिला अर्चना की उम्र उस समय 48 वर्ष थी और पीड़ित लड़के की उम्र लगभग 13 साल थी। अर्चना पीड़ित के पड़ोस में रहती थी और उसकी मां के जरिए बच्चे से संपर्क में आई। आरोप है कि इंस्टाग्राम पर पेंटिंग्स पोस्ट करने में मदद करने के बहाने महिला ने लड़के को घर बुलाना शुरू किया।
पीड़ित के मुताबिक, मई और जून 2020 में आरोपी महिला ने दो मौकों पर उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाए। इस घटना से आहत बच्चा उस समय चुप रहा, लेकिन 2024 में उसने एक थैरेपिस्ट को पूरा सच बताया। बाद में दुबई में रहते हुए शिकायत दर्ज की गई।

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अदालत की सख्त टिप्पणी

अर्चना ने कोर्ट में यह दलील दी कि महिला पर बलात्कार या यौन शोषण के आरोप नहीं लग सकते। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि POCSO कानून जेंडर न्यूट्रल है और कोई भी व्यक्ति—चाहे पुरुष हो या महिला—अगर नाबालिग को यौन उत्पीड़न के लिए मजबूर करता है, तो वह दोषी है।

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खबरों के मुताबिक, आरोपी महिला ने बच्चे को धमकाया था कि यदि उसने किसी को बताया तो दोनों मुसीबत में फंस जाएंगे। आरोपी का पति और बेटी विदेश में रहते हैं।

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