
ECI बनाम राहुल गांधी: चुनाव आयोग ने वोट डिलीट करने के आरोपों को बताया झूठा, कहा – "ऑनलाइन वोट हटाना असंभव"
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया, कहा – जनता द्वारा ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं किए जा सकते; अलंद विधानसभा क्षेत्र की घटना पर दी सफाई


नई दिल्ली। भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। आयोग ने साफ कहा है कि ऑनलाइन वोट डिलीट करने का आरोप पूरी तरह झूठा और निराधार है।
चुनाव आयोग का बयान



ECI ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ट्वीट करते हुए कहा – "लोकसभा के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप गलत और निराधार हैं। किसी भी वोट को जनता द्वारा ऑनलाइन नहीं हटाया जा सकता, जैसा कि राहुल गांधी ने गलत धारणा बनाई है। प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई भी बदलाव या विलोपन नहीं हो सकता।"

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 2023 में कर्नाटक की अलंद विधानसभा सीट पर मतदाताओं के नाम हटाने की असफल कोशिश की गई थी। इसकी जानकारी मिलते ही आयोग ने खुद FIR दर्ज कर जांच शुरू करवाई थी।
❌Allegations made by Shri Rahul Gandhi are incorrect and baseless.#ECIFactCheck
— Election Commission of India (@ECISVEEP) September 18, 2025
✅Read in detail in the image attached 👇 https://t.co/mhuUtciMTF pic.twitter.com/n30Jn6AeCr

राहुल गांधी का आरोप
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे “वोट चोरों और लोकतंत्र को नष्ट करने वालों को बचा रहे हैं।”
उन्होंने दावा किया था कि अलंद विधानसभा क्षेत्र में चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के 6,018 वोट डिलीट करने की कोशिश की गई थी। राहुल ने यह भी कहा कि इस काम के लिए राज्य के बाहर के सॉफ्टवेयर और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया।
ECI की सफाई
चुनाव आयोग ने राहुल के दावों को खारिज करते हुए कहा कि –
- कोई भी वोट जनता द्वारा ऑनलाइन नहीं हटाया जा सकता।
- वोटर लिस्ट से नाम हटाने या संशोधन की प्रक्रिया पूरी तरह **सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया** पर आधारित है।
- अलंद विधानसभा क्षेत्र में जो मामला हुआ था, उसकी जांच पहले से चल रही है और FIR दर्ज है।
राजनीतिक माहौल गरमाया
राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच इस विवाद ने आगामी चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। जहां कांग्रेस इस मुद्दे को चुनावी ध्रुवीकरण के रूप में इस्तेमाल कर रही है, वहीं भाजपा और आयोग इसे बे-बुनियाद आरोप करार दे रहे हैं।

