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इतिहास के पन्नों में 15 दिसंबर: लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि, देश कर रहा नमन

भारत की एकता के शिल्पकार सरदार पटेल के योगदान को याद कर देशभर में दी जा रही श्रद्धांजलि, पीएम मोदी ने भी किया नमन
 

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नई दिल्ली। भारतीय इतिहास में 15 दिसंबर की तारीख देश की एकता और अखंडता के महान शिल्पकार लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। आज़ादी के बाद बिखरी हुई रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर भारत को मजबूत और संगठित राष्ट्र का स्वरूप देने वाले सरदार पटेल को आज देशभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जा रहा है।

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किसान परिवार से राष्ट्र निर्माता तक

31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में एक किसान परिवार में जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में रहे। महात्मा गांधी के विश्वस्त सहयोगी रहे सरदार पटेल ने सत्याग्रह आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन आंदोलन को मजबूती प्रदान की।
स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने देश की सबसे जटिल राजनीतिक चुनौती—562 से अधिक रियासतों के एकीकरण—को कुशलता से सुलझाया। उनके दृढ़ संकल्प, राजनीतिक दूरदर्शिता और कूटनीतिक कौशल के चलते भारत का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप संभव हो सका। रजवाड़ों का शांतिपूर्ण विलय भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है।

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दृढ़ प्रशासक और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक

सरदार पटेल की पहचान एक सख्त लेकिन दूरदर्शी प्रशासक के रूप में रही। उन्होंने राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि रखते हुए मजबूत प्रशासनिक ढांचे की नींव रखी। उनके फैसलों ने नवस्वतंत्र भारत को राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक मजबूती प्रदान की।

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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: विराट विरासत का प्रतीक

सरदार पटेल की स्मृति में गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थापित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ आज विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में खड़ी है। यह प्रतिमा न केवल उनके विराट व्यक्तित्व का प्रतीक है, बल्कि देश की एकता और अखंडता के प्रति उनके अटूट संकल्प की सशक्त अभिव्यक्ति भी है।

पीएम मोदी ने किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा-
 “लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर मेरा सादर नमन। उन्होंने देश को एकसूत्र में पिरोने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अखंड और सशक्त भारतवर्ष के निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता।”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि सरदार पटेल की राष्ट्र निर्माण में भूमिका ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत’ के संकल्प के लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत है।


 

आज भी प्रासंगिक हैं सरदार पटेल के विचार

15 दिसंबर 1950 को सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हुआ, लेकिन उनके विचार, आदर्श और राष्ट्रीय एकता का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उनकी पुण्यतिथि पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है और एकजुट, सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प दोहराया जा रहा है।
 

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