
देश में फिर से पैर पसार रहा कोरोना! मुंबई में नवजात मिला कोविड पॉजिटिव, जानें क्या है नया वैरिएंट JN.1?




मुंबई: कोरोना वायरस की वापसी अब पहले जितनी डरावनी नहीं लगती, लेकिन एशिया के कई देशों में कोविड मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के बीच भारत में भी चौकन्ना रहना जरूरी हो गया है। बीते एक हफ्ते में देशभर में 164 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें से 150 से ज्यादा केस अकेले पिछले कुछ दिनों में ही रिपोर्ट हुए हैं।


मुंबई में बढ़े कोविड केस
मुंबई में 53 नए कोविड संक्रमितों की पुष्टि हुई है। चिंता की बात यह है कि बुजुर्गों के साथ अब नवजात बच्चे भी वायरस की चपेट में आ रहे हैं। केजे सोमैया अस्पताल में भर्ती एक 4 महीने का बच्चा कोविड पॉजिटिव पाया गया है, जिसे सांस की गंभीर दिक्कतों के कारण वेंटिलेटर पर रखा गया। अब उसकी हालत कुछ बेहतर है, लेकिन उसे अभी भी ऑक्सीजन की जरूरत है।


बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. इरफ़ान अली के अनुसार, बच्चे के फेफड़ों में पानी भर गया था और वह बहुत गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था। फिलहाल उसका इलाज जारी है। अस्पताल में एक और बच्चा भर्ती है, जिसे कोविड का संभावित मरीज माना जा रहा है और रिपोर्ट का इंतजार है।

महाराष्ट्र में 56 एक्टिव केस
महाराष्ट्र में इस समय 56 एक्टिव कोविड केस हैं, जिनमें से अधिकांश मुंबई से हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर का कहना है कि डरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अब कोरोना का स्वरूप पहले जैसा खतरनाक नहीं रहा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार से अगर कोई दिशा-निर्देश आते हैं तो राज्य सरकार उनका पालन करेगी। अभी किसी नई SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है।
कैंसर और किडनी मरीजों की कोविड से मौत
मुंबई के KEM अस्पताल में कैंसर और किडनी से पीड़ित दो मरीजों की मौत हुई है। दोनों की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई थी, जिससे यह मामला चर्चा में आ गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इन मरीजों की पहले से गंभीर बीमारी थी, जिससे स्थिति बिगड़ी।
नया वेरिएंट JN.1 बना चिंता का कारण
इस साल कोविड का नया वेरिएंट JN.1 चर्चा में है, जिसने कई देशों को सतर्क कर दिया है। हांगकांग, सिंगापुर, थाईलैंड और चीन में तेजी से बढ़ते मामले भारत के लिए भी चेतावनी हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने JN.1 को लेकर कहा है कि इसमें इम्यून सिस्टम को चकमा देने की क्षमता है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह पहले के ओमिक्रॉन वेरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक है या नहीं।

