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अंतरिक्ष मिशन पर कांग्रेस नेता उदित राज का विवादित बयान, कहा- दलित को भेजते तो गर्व होता...

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Udit Raj
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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से सफल वापसी के बाद देशभर में जहां खुशी की लहर है, वहीं कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज के एक बयान ने इस उपलब्धि को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।

क्या बोले डॉ. उदित राज?

एक समाचार एजेंसी से बातचीत में डॉ. उदित राज ने कहा कि इस बार अंतरिक्ष मिशन में किसी दलित, पिछड़े या आदिवासी समुदाय से व्यक्ति को भेजा जाना चाहिए था। शुभांशु शुक्ला को बधाई, लेकिन यह अवसर अगर किसी वंचित समाज को मिलता तो सामाजिक न्याय की मिसाल बन सकता था।”

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उन्होंने कहा कि इस तरह के अंतरिक्ष मिशनों में केवल तकनीकी दक्षता नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिनिधित्व को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

NASA की कोई प्रतियोगिता नहीं हुई- उदित राज 

उदित राज ने यह भी दावा किया कि NASA या Axiom मिशन के तहत कोई ओपन प्रतियोगी परीक्षा नहीं हुई, जिससे चयन प्रक्रिया में भागीदारी का मौका सबको मिल सके। उनके अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया सरकारी और राजनीतिक निर्णय का हिस्सा होती है, जिसमें सरकार चाहती तो वंचित वर्ग से किसी प्रतिभाशाली उम्मीदवार को चुन सकती थी।

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उन्होंने कहा  “1984 में जब राकेश शर्मा गए थे, तब सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के पास संसाधन और अवसर नहीं थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आज दलित, OBC, और आदिवासी समाज के कई लोग सक्षम और योग्य हैं।”

सोशल मीडिया पर छिड़ गई नई बहस

डॉ. उदित राज के इस बयान ने सोशल मीडिया पर 'मेरिट बनाम आरक्षण' की बहस को फिर से हवा दे दी है। कुछ लोग इसे सकारात्मक सोच और सामाजिक समावेशिता की मांग मान रहे हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने इसे वैज्ञानिक उपलब्धियों के राजनीतिकरण की कोशिश बताया है।

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X (पूर्व ट्विटर) पर लोग लिख रहे हैं कि “क्या अब अंतरिक्ष जैसी तकनीकी और रिस्क-आधारित फील्ड्स में भी जातिगत पहचान के आधार पर चयन होना चाहिए?”

इस पूरे मामले पर सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु शुक्ला की वापसी को “देश की वैज्ञानिक ताकत का प्रतीक” बताते हुए बधाई संदेश दिया है।

वहीं, ISRO से जुड़े सूत्रों ने अनौपचारिक रूप से स्पष्ट किया कि यह मिशन Axiom Space और NASA की तकनीकी साझेदारी का हिस्सा था।
शुभांशु शुक्ला का चयन उनके टेस्ट पायलट अनुभव, ट्रेनिंग और विशेषज्ञता के आधार पर हुआ, न कि किसी राजनीतिक प्रक्रिया से।

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