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प्रेम संबंध का टूटना रेप केस करने का आधार नहीं,  सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

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Supreme Court
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दिल्ली,भदैनी मिरर।  प्रेम संबंध के टूटने के बाद रेप केस कराने के बढ़ते मामलों सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. याचिकाकर्ता के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इण्डिया ने टिप्पणी की है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने टिप्पणी की है. 

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बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी वजह से प्रेम संबंधों का टूट जाना रेप का आधार नहीं होना चाहिए. खासकर बदलते नैतिक मूल्यों के सम्बन्ध में तो प्रेमी जोड़ा किसी वजह से अलग हो जाए तो इसका मतलब यह बिलकुल नहीं हो जाता कि रेप केस दर्ज करा दिया जाए. ऐसे मामले रूढ़िवादी मानसिकता को दर्शाते है, ऐसी मानसिकता का परिणाम होते हैं.

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याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उनके ऊपर रेप का केस दर्ज किया गया है. जिस महिला ने उनके ऊपर रेप केस किया है वह उनकी मंगेतर रही है. दोनों की सगाई टूटने के बाद महिला ने आरोप लगाया कि उसे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाये गए. इसके लिए उसे मजबूर किया गया. याची ने कोर्ट से याचना की उसके ऊपर लगे आरोप झूठे है, उसे रद्द किया जाए. महिला ने अपनी ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता को खड़ा किया है, जिस पर टिप्पणी करते हुए बेंच ने कहा कि जिसने इतनी सीनियर वकील को अपना केस दिया है, उसे सीधी और भोली-भाली नहीं कहा जा सकता, इसलिए कोर्ट मामले को गंभीरता से ले रही है.

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अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, 'मान लीजिए कि कॉलेज के दो स्टूडेंट्स के बीच प्यार है. लड़की पीछे हटती है और युवक कहता है कि मैं तुमसे अगले सप्ताह शादी कर लूंगा. फिर वह बाद में ऐसा नहीं करता है. क्या ऐसा करना अपराध माना जाएगा? बेंच ने यह भी कहा कि यह परंपरागत नजरिया है. जिसमें पूरी अपेक्षाएं पुरुषों पर ही डाल दी जाती हैं. इस पर महिला की वकील ने कहा कि यह मामला तो अरेंज मैरिज का है. वकील माधवी दीवान ने कहा, 'इस मामले में संबंध बनाने की मंजूरी फ्री कंसेंट का केस नहीं है. यहां मसला है कि युवती को लगा कि यदि वह मंगेतर को खुश नहीं करेगी तो वह शादी नहीं करेगा. दोनों की सगाई हुई थी. यह युवक के लिए कैजुअल सेक्स हो सकता है, लेकिन लड़की के सा ऐसा नहीं था.


हालांकि बेंच इस दलील से सहमत नहीं हुई. जजों ने कहा कि आप ही बताएं कि क्या सिर्फ शादी न हो पाना रेप का अपराध मान लिया जाए. हम इस मामले को सिर्फ एक तरीके से नहीं देख सकते. हमें किसी एक जेंडर से ही अटैचमेंट नहीं है. मेरी भी एक बेटी है. यदि वह भी इस स्थिति में होती तो मैं भी इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखता. अब खुद ही बताइए कि क्या इतनी कमजोर दलीलों के आधार पर यह केस बनता है. जस्टिस बिंदल ने कहा कि शिकायतकर्ता को पता था कि यह रिश्ता खत्म हो सकता है. फिर भी उन्होंने संबंध बनाये. अदालत ने युवक की अर्जी पर सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की है.

 

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